नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) का प्रकोप अभी थमा नहीं है. भारत में कोरोना की तीसरी लहर (Coronavirus Third Wave) को लेकर हो रही चर्चाओं के बीच ये बात सामने आई है कि भारत में संक्रमण की लहरों में इतनी तेजी के पीछे कारण क्या है. लैंसेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में उच्च स्तर की पुरानी बीमारी जैसे डायबिटीज, ब्लड प्रेशर के चलते महामारी के दौरान दुनिया के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश में कोरोनोवायरस की लहरों को भड़काने में मदद मिली.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कोविड -19 के कुछ बड़े पैमाने के अध्ययनों में से एक के निष्कर्षों से पता चला है कि मदुरै के दक्षिणी जिले के रोगियों में चीन, यूरोप, दक्षिण कोरिया और अमेरिका की तुलना में मरने का अधिक जोखिम था, भले ही उनमें से 63% संक्रमित बिना लक्षण वाले थे. द लैंसेट में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, इसके चलते समुदाय में पुरानी स्वास्थ्य स्थितियों की बड़ी भूमिका हो सकती है.
ऐसे बढ़ा इन पुरानी बीमारियों का खतरा
भारत में मध्यम वर्ग के बढ़ने से सालों तक एक से दूसरे तक न फैलने वाले रोगों का सामना किया और ज्यादा गतिहीन और समृद्ध जीवन शैली अपनाई जाती रही. इससे वह मधुमेह और हृदय रोग जैसी बीमारियों के प्रति संवेदनशील हुए जो कि देश में होने वाली सभी मौतों का लगभग दो-तिहाई हैं. उन मौजूदा स्थितियों ने कोरोनावायरस को और अधिक नुकसान करने, मामलों और घातक घटनाओं को बढ़ाने और संभावित रूप से भारत की स्वास्थ्य प्रणाली के पतन की ओर बढ़ाने का काम किया.
शोधकर्ताओं ने पाया कि इस तरह की कम से कम एक मौजूदा स्वास्थ्य स्थिति या फिर ब्लड प्रेशर और डायबिटीज आदि से पीड़ित कोविड -19 रोगियों में मृत्यु दर 5.7% थी, जो कि उनकी तुलना में स्वस्थ्य लोगों का आंकड़ा 0.7 फीसदी रहा. भारत की पहली लहर के दौरान 20 मई से 31 अक्टूबर, 2020 तक मदुरै में आरटी-पीसीआर के रूप में जाने जाने वाले कोरोनवायरस परीक्षण से गुजरने वाले 400,000 से अधिक लोगों से ये डेटा लिया गया था.
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