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सोने के गहनों से जुड़े जरूरी नियम जो 31 अगस्त से होंगे लागू… जानिए इससे जुड़ी हर बात…

अगर आपके सोने के गहनों पर हॉलमार्क है तो इसका मतलब है कि उसकी शुद्धता प्रमाणित है. कई ज्वैलर्स बिना जांच प्रकिया पूरी किए ही हॉलमार्क लगाते हैं. ऐसे में यह देखना जरूरी है कि हॉलमार्क ओरिजनल है या नहीं. असली हॉलमार्क पर भारतीय मानक ब्यूरो का तिकोना निशान होता है. उस पर हॉलमार्किंग सेंटर के लोगो के साथ सोने की शुद्धता भी लिखी होती है. उसी में ज्वैलरी निर्माण का वर्ष और उत्पादक का लोगो भी होता है.

31 अगस्त से लागू होगा नया नियम
सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि 1 सितंबर 2021 तक पुराने स्टॉक पर हॉलमार्क लगाने को लेकर किसी भी व्यापारी पर कोई पेनल्टी नहीं लगेगी और कोई माल भी जब्त नहीं होगा.

सभी ज्वैलरी व्यापारियों को केवल एक बार रजिस्ट्रेशन लेना होगा, जिसका कोई नवीनीकरण नहीं कराना होगा. कुंदन एवं पोल्की की ज्वेलरी और ज्वैलरी वाली घड़ियों को हॉलमार्क के दायरे से बाहर रखा गया है.

क्यों जरूरी है ये नियम
हॉलमार्किंग ग्राहकों के लिए काफी फायदेमंद है. अगर आप हॉलमार्क वाली ज्वेलरी खरीदते हैं तो जब आप इसे बेचने जाएंगे तो किसी तरह की डेप्रिसिएशन कॉस्ट नहीं काटी जाएगी.

इसका मतलब है कि आपको अपने सोने की पूरी-पूरी कीमत मिलेगी. इसके अलावा आप जो सोना खरीदेंगे उसकी गुणवत्ता (quality) की गारंटी होगी. इससे देश में मिलावटी सोना बेचने पर रोक लगेगी. ग्राहकों को ठगे जाने का डर नहीं होगा.

हॉलमार्किंग में सामने आ रहीं ये दिक्कतें
छोटे-मझोले ज्वैलर्स को कम्प्यूटर सिस्टम, एक्सपर्ट डेडिकेटेड स्टाफ रखना होगा, इसका खर्च बढ़ेगा. हॉलमार्क के लिए ज्वैलरी भेजने का सिस्टम ऑनलाइन हो गया है.

छोटे और मझोले ज्वैलर्स इसमें निपुण नहीं हैं. छोटे ज्वैलरी आइटम की संख्या अधिक होने से हॉलमार्किंग सेंटर्स को इनका ब्योरा रखने में परेशानी हो रही है.

सरकार ने दी अहम जानकारी
उपभोक्‍ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मामलों के राज्‍य मंत्री अश्विनी चौबे का कहना है कि सोने पर हॉलमार्किंग के पहले चरण में 256 जिलों को कवर किया जा रहा है.

सरकार की तरफ से इन 256 जिलों की पहचान की जा चुकी है और ये जिले 28 राज्‍यों के हैं. उन्‍होंने कहा कि इस नियम को 23 जून 2021 से लागू किया जा चुका है.

सरकार की तरफ से कहा गया है कि इस नियम को उन जिलों में लागू किया गया है कि जहां पर कम से कम एक एसेइंग और हॉलमार्किंग सेंटर मौजूद हैं. आदेश के तहत 40 लाख रुपए तक का वार्षिक कारोबार करने वाले ज्‍वैलर्स को नियमों के तहत कवर नहीं किया गया है.

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