जगदलपुर। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता एवं पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर कहा है, कि सरकार आदिवासियों की जमीन पर जबरन कब्जा कर रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि सरकार उद्योगपतियों को जमीन दिलवाने से लेकर पुलिस कैंप तक के लिए जमीन हड़पने का काम कर रही है। केदार कश्यय ने कहा कि एक तरफ तो राज्य सरकार टाटा की जमीन आदिवासियों को वापस करने के संदर्भ में पूरे देश मे ढिंढोरा पीटते हुए घूम रही है तो दूसरी तरफ बस्तर के आदिवासियों की जमीन पर काबिज होने की कोई कसर नहीं छोड़ रही है ।
केदार कश्यप ने कहा कि 12 अप्रैल 2021 को बस्तर सहित पूरे छत्तीसगढ़ में लॉक डाउन की स्थिति थी। कोरोना संक्रमण काल के दौरान बस्तर में 144 धारा लागू थी, तब ऐसी कौन सी इमरजेंसी आ गई कि राज्य सरकार को आनन-फानन में 12 गांव के ग्रामीणों को बुलाकर जनसुनवाई करवाकर उसमें कांग्रेस के स्थानीय विधायक उद्योग के पक्ष में जाकर, खेती व उपजाऊ जमीन देने के लिए उद्योगपतियों के साथ मिलकर मंच के माध्यम से बात कर रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि सिलगेर निवासी लक्ष्मी मुचाकी के साथ घटी घटना किसी से छुपी नहीं है। उसने मीडिया के सामने खुद यह आरोप लगाया कि पुलिस कैंप के लिए सरकार ने उसकी जमीन पर कब्जा किया है।
इसी तरह दंतेवाड़ा जिले के गीदम के हीरानार के लगभग 450 एकड़ में लघु उद्योग स्थापित करने के उद्देश्य से ले आउट लेने गई हुई टीम व जवानों को आक्रोशित ग्रामीणों ने टंगिया लेकर दौड़ाया। ग्रामीण अपनी जमीन देने तैयार नहीं थे। पत्र में केदार कश्यप ने कहा कि ऐसे कई अन्य मामले हैं जिनमें सरकार ने बस्तर के आदिवासियों की जमीन हड़पने की कोशिश की है। यह पांचवी अनुसूची व पेसा एक्ट का उल्लंघन है।
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