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Pilot vs Gahelot: गहलोत गुट ने पायलट को लेकर खींची लक्ष्मण रेखा, आलाकमान के सामने रखीं ये 3 शर्तें

राजस्थान में नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर रविवार को फैसला होना था. इसके लिए विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी लेकिन फैसला होने से पहले ही एकाएक कांग्रेस के 82 विधायकों ने इस्तीफा सौंप दिया है. सूत्रों के मुताबिक मामले को ठंडा करने के लिए कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने अशोक गहलोत को फोन किया लेकिन गहलोत ने हाथ खड़े कर दिए.

वहीं सोनिया गांधी ने अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को नाराज विधायकों के साथ आमने-सामने बातचीत करने का निर्देश दिया. विधानसभा अध्यक्ष के आवास पर देर रात तक दोनों ने विधायकों को मनाने की कोशिश की. बात नहीं बनी और सभी विधायक अपने घर चले गए.

सूत्रों के मुताबिक घर जाने से पहले विधायकों ने आलाकमान के सामने तीन शर्तें रखी हैं. सूत्रों ने बताया कि नाराज विधायकों का कहना है कि जब तक इस बात पर सहमति नहीं बनेगी तबतक कोई विधायक बैठक में शामिल नहीं होगा.

नाराज विधायकों ने रखीं ये तीन शर्तें
– अशोक गहलोत अध्यक्ष चुनाव के बाद CM पद से इस्तीफा देंगे यानी सीएम उम्मीदवार की घोषणा 18 अक्टूबर के बाद की जाए.

– जो भी मुख्यमंत्री बनेगा वो उन 102 विधायकों में से हो जिन्होंने 2020 में सचिन पायलट की बगावत के दौरान सरकार गिरने से बचाने का काम किया था.

– सीएम पद के लिए अशोक गहलोत का विकल्प दिया जाना चाहिए.

अंतिम फैसला लेते समय शर्तों पर ध्यान दें: महेश जोशी
राजस्थान के मंत्री महेश जोशी ने कहा कि अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी पर हर विधायक को भरोसा है. हमने अपनी बात रखी है और उम्मीद है कि आलाकमान अंतिम निर्णय लेते समय हमारी मांगों पर विचार करेगा. हम चाहते हैं कि पार्टी उन लोगों का ख्याल रखे जो कांग्रेस के लिए वफादार रहे हैं.

नाराज विधायकों ने सीपी जोशी को सीएम बनाने की मांग की
इस्तीफा देने वाले 82 विधायकों ने आरोप लगाया कि सीएम के चयन में उनकी राय नहीं ली गई. प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा है कि 10-15 विधायकों (पायलट समर्थकों) की सुनवाई हो रही है, जबकि अन्य विधायकों (गहलोत समर्थकों) की उपेक्षा हो रही है. नाराज विधायकों ने स्पीकर सीपी जोशी को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की है.

गहलोत खेमे के विधायकों से जब दोबारा बातचीत के लिए कहा गया तो वे बोले बैठक अब नहीं होगी. उनकी मुलाकात हो चुकी है. सभी ने विधायक शांति धारीवाल के आवास पर इस्तीफा दिया है, जिसे बाद में विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिया गया.

विधायक बाबूलाल नागर ने कहा कि अशोक गहलोत को पार्टी अध्यक्ष बनने दें, उसके बाद आलाकमान जो भी फैसला करेगा, वह स्वीकार्य होगा.

विधायकों ने गहलोत को ही माना अपना नेता
कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि विधायकों ने अशोक गहलोत को ही अपना नेता माना है. निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने कहा कि अगर विधायकों की इच्छा के आधार पर ही मुख्यमंत्री का चयन होता है तो सरकार ठीक तरह से चलती रहेगी. अगर ऐसा नहीं होता है तो सरकार गिरने का खतरा है.

कांग्रेस के खिलाफ बगावत करने पर पायलट को घेरा
लोकदल कोटे से राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने पायलट का नाम लिए बिना उन पर हमला बोला. गर्ग ने कहा, ‘जिन लोगों (पायलट) ने 2 साल पहले सरकार गिराने की कोशिश की, उन्हें प्रदेश की कमान सौंपने की तैयारी की जा रही है. इससे पार्टी और सरकार दोनों कमजोर हो सकते हैं.’

गर्ग ने आगे कहा, ‘जिन 102 विधायकों ने सरकार बचाई थी, उनका क्या? कांग्रेस को उनकी भावनाओं का भी खयाल रखना चाहिए, जो दो महीने तक घर छोड़कर होटलों में बाड़ेबंदी के अंदर रहे. हमने सरकार बनाने में सहयोग किया. सहयोगी दलों से पूछा जाना चाहिए कि आगे सरकार कैसे बचेगी.’

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