बीमारियों के साथ चीन का संबंध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. पिछले डेढ़ सालों से ज्यादा समय से पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी से जूझ रही है, जो कि चीन से ही फैली. अब वहां पर बर्ड फ्लू के एक नए स्ट्रेन का पता चला है. H10N3 नामक ये स्ट्रेन पहली बार किसी इंसान में दिखा. चीन की नेशनल हेल्थ कमीशन ने खुद इसकी घोषणा करते हुए लोगों से अलर्ट रहने की अपील की.
पहले मरीज की जानकारी महीनेभर बाद चीन के शिनजियांग शहर में महीनेभर पहले 41 साल का एक शख्स बीमार होकर अस्पताल पहुंचा. वो इस पूरे समय अस्पताल में भर्ती रहा. बाद में पुष्टि हुई कि वो बर्ड फ्लू के H10N3 स्ट्रेन से ग्रस्त है. मरीज में तेज बुखार और सर्दी जैसे लक्षण थे, जो कि कोरोना से मिलते-जुलते हैं. फिलहाल इस बात की जानकारी नहीं मिल सकी है कि वो कैसे इस वायरस की चपेट में आया. रॉयटर्स में इस बारे में रिपोर्ट आ चुकी है.
बर्ड फ्लू के भी कोरोना की ही तरह कई स्ट्रेन
H10N3 इन्हीं में से एक स्ट्रेन है, जो काफी खतरनाक है. इस स्ट्रेन को हालांकि आज तक नहीं देखा गया था. ये दुनिया का पहला ही मामला है. कोरोना को लेकर पहले ही संदेह के घेरे में खड़े चीन ने इस फ्लू की पुष्टि के साथ ही खुद को बचाने की कोशिश शुरू कर दी. वहां की नेशनल हेल्थ कमीशन ने कहा कि ये स्ट्रेन लो पैथोजनिक है यानी इससे बीमारी फैलने का खतरा कम ही रहता है.
क्या कहती है CDC
दूसरी ओर अमेरिकी हेल्थ एजेंसी सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने सीधे कहा कि लो पैथोजन वाला मामला केवल और केवल पक्षियों तक सीमित है. संस्था के मुताबिक फिलहाल ये नहीं पता लग सका है कि इंसानों पर ये स्ट्रेन कितना संक्रामक या घातक हो सकता है. अब विदेशी संस्थाएं बर्ड फ्लू के इस नए स्ट्रेन को लेकर सचेत हो गई हैं और समझने की कोशिश कर रही हैं कि कहीं ये भी कोरोना की तरह खतरनाक न साबित हो.
कैसे फैलता है ये वायरस
वैसे बर्ड फ्लू के कई तरह के स्ट्रेन वातावरण में होते हैं लेकिन उनमें से कुछ ही इंसानों तक संक्रमण फैला पाते हैं. बर्ड फ्लू को वैज्ञानिक भाषा में एवियन इंफ्लूएंजा भी कहते हैं, जो टाइप A वायरस से फैलने वाली बीमारी है. वैसे वायरस जंगलों में फैलते हैं लेकिन पोल्ट्री और पक्षियों पर भी असर डालते हैं. यही कारण है कि इनके कुछ स्ट्रेन इंसानों तक पहुंच चुके.
पहली बार 90 के दशक में दिखा
इसका सबसे आम रूप H5N1 एवियन इंफ्लूएंजा कहलाता है. ये बेहद संक्रामक है. समय पर इलाज न मिलने पर जानलेवा हो सकता है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक सबसे पहले एवियन इंफ्लूएंजा के मामले साल 1997 में दिखे. संक्रमित होने वाले लगभग 60 प्रतिशत लोगों की जान चली गई. इसके लक्षणों में सर्दी, जुकाम, सांस में तकलीफ, कंजंक्टिवाइटिस, गले में सूजन और बार-बार उल्टी आने जैसी समस्याएं शामिल हैं.
मुर्गियों के संपर्क में रहने वालों पर पहला खतरा
इसके वायरस वहीं फैलते हैं जहां पक्षियों की काफी संख्या होती है. इनके संपर्क में जो भी आता है, उसमें सांस के जरिए वायरस शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. यही कारण है कि आमतौर पर पोल्ट्री में काम करने वालों पर इसका सबसे पहला असर दिखता है. इसके बाद इसकी खरीदी करने और अधपका खाने वालों तक भी संक्रमण पहुंच जाता है.
रूप बदलते रहते हैं इसके भी वायरस
वैसे तो बर्ड फ्लू के ढेरों स्ट्रेन हैं, जिनकी अब तक पूरी जानकारी भी नहीं मिल सकी लेकिन इंसानों तक पहुंचने वाले कुछ स्ट्रेन की पुष्टि हो चुकी है. इनमें 5 वायरस होते हैं. ये H7N3, H7N7, H7H9, H9N2 और H5N1 हैं. इसमें H5N1 अब तक का सबसे खतरनाक वायरस माना जाता है. हर बार इसके वायरस स्ट्रेन बदलते रहते हैं ताकि खुद को जिंदा रख सकें.
बर्ड फ्लू पर भी जताई जाने लगी चिंता
वैज्ञानिक पहले बर्ड फ्लू से उतने चिंतित नहीं थे लेकिन कोरोना महामारी फैलने के बाद से कई बातों को लेकर नए तरीके से सोचा जा रहा है. बर्ड फ्लू भी महामारी का रूप ले सकता है अगर सावधानी न बरती जाए. यही कारण है कि चीन में नए स्ट्रेन का पहला मामला दिखते ही खुद CDC ने इसपर बात की. परेशानी का एक कारण ये भी है कि हम पोल्ट्री के करीब रहते हैं. ऐसे में अगर बर्ड फ्लू का वायरस मुर्गियों में भी पाया गया, तो यह बड़ा खतरा बन सकता है.
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