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जिन पांच राज्यों में आने वाले हैं चुनाव के नतीजे, आपको पता है वहां ‘कोरोना का कहर’ कैसा है?

एक ओर जब भारत (India) के अलग-अलग राज्यों से कोरोना (Corona) पीड़ितों की मदद की गुहारें और समाचारों में वायरस के भयानक आंकड़ें गूंज रहे थे तब पश्चिम बंगाल (West Bengal), असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव बयार चल रही थी. विधानसभा चुनाव (Assembly Election) की तैयारियों, जनता का उत्साह और राजनीतिक दलों की रैलियों की तस्वीरों और वीडियो को देखकर मालूम पड़ता है कि इन जगहों पर कोरोना का कहर उतना नहीं है, जबकि आंकड़ें कुछ और ही कहते हैं.

पश्चिम बंगाल: पिछले एक हफ्ते के आंकड़े

तारीख नए मामले मौतें

24 अप्रैल14,28159

25 अप्रैल15,88957

26 अप्रैल15,99268

27 अप्रैल16,40373

28 अप्रैल17,20777

29 अप्रैल17,40389

30 अप्रैल17,41196

पश्चिम बंगाल में कोरोना के आंकड़ें हर रोज डराने वाले रूप में सामने आ रहे हैं. बीते 24 घंटे की बात करें तो पश्चिम बंगाल में कुल 17,411 नए मामले सामने आ चुके हैं. वहीं मरने वालों का संख्या 96 दर्ज की जा चुकी है. इसी के साथ पश्चिम बंगाल में अब तक कुल 8,28,366 मामले सामने आ चुके हैं. वहीं मरने वालों का आंकड़ा 11,344 पहुंच चुका है. राज्य में कोरोना से सबसे बुरी स्थिति राजधानी कोलकाता की है, जहां लगभग 4 हजार मामले एक दिन में सामने आ रहे हैं.

असम: स्वास्थ्य मंत्रालय को सता रहा डर
दूसरे राज्यों पर नजर डालें तो असम में बीते सात दिनों से औसतन 2,810 मामले प्रतिदिन सामने आ रहे हैं, जिनमें बीते 24 घंटे में सामने आए 3,197 मामले भी शामिल हैं. बीते 24 घंटे में 26 लोग असम में कोरोना से अपनी जान गंवा चुके हैं और इसी के साथ मरने वालों का आंकड़ा 1,307 पहुंच चुका है. असम के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि सिर्फ 10-15 फीसदी कोरोना संक्रमित अस्पतालों में भर्ती हैं, ऐसे में कहा जा सकता है कि स्थिति काबू में है लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय मतगणना को लेकर चिंता सता रही है. स्वास्थ्य अधिकारियों को डर है कि अगर लापरवाही बरती गई तो आने वाले समय में असम में करीब चार हजार मामले हर रोज सामने आ सकते हैं.

केरल: देश के टॉप-10 कोरोना प्रभावित राज्यों में शामिल
केरल की बात करें तो यहां कोरोना के आंकड़ें डरावने हैं. बीते 24 घंटे में केरल कोरोना के 37,199 नए मामले दर्ज कर चुका है. वहीं 49 लोगों की मौत हो चुकी है. केरल में अब तक कुल 15,71,183 कोरोना के मामले सामने आ चुके हैं और 5,308 लोगों की मौत हो चुकी है. उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु के साथ केरल भी उन 10 राज्यों में शामिल है जहां कुल 73.71 फीसदी नए मामले दर्ज किए गए हैं.
तमिलनाडु: चेन्नई में कुल 3,33,804 संक्रमित
तमिलनाडु का हाल भी बुरा है लेकिन विधानसभा चुनाव ने यहां भी संक्रमण को ढक दिया. बीते 24 घंटों में तमिलनाडु कुल 18,692 नए मामले दर्ज कर चुका है और 113 लोग जान गंवा चुके हैं. कुल मामलों पर नजर डालें तो राज्य में अब तक कुल 11,66,756 मामले रिकॉर्ड किए जा चुके हैं. वहीं मरने मौत का आंकड़ा 14,046 तक पहुंच चुका है. तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में बीते 24 घंटों में 5473 नए मामले सामने आए, जिसके बाद शहर में कुल संक्रमितों का आंकड़ा 3,33,804 तक पहुंच गया.
पुडुचेरी: औसतन मामले एक हजार से ज्यादा
छोटे से केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में बीते 24 घंटों में 1,195 मामले दर्ज किए गए और 12 लोगों की मौत हो गई. यहां अब तक कुल 58,622 मामले सामने आ चुके हैं और कुल 805 लोगों की मौत हो चुकी है. बीते एक हफ्ते की बात करें तो पुडुचेरी में औसतन 1,036 मामले हर रोज सामने आ रहे हैं.
वोट डालने निकली जनता और प्रचार करने निकले नेताओं ने कोरोना को पूरी तरह से नजरअंदाज किया या कहें तो ‘हल्के में लिया’. इसके लिए चुनाव आयोग को अदालतों में फटकार भी सुननी पड़ी. अगर एक नजर आंकड़ों पर और अपने आसपास के हालातों पर डालें तो पता लगता है कि स्थिति बिल्कुल भी नजरअंदाज करने योग्य न थी और न है. सनद रहे कि जब बात कोरोना के बढ़ते प्रभाव के बीच चुनाव की हो रही है तो हमें उत्तर प्रदेश के पंचायती चुनाव, अस्पतालों की स्थिति और मरने वालों के आंकड़ों की ओर भी देखना होगा.
उत्तर प्रदेश: सबसे बड़े प्रदेश का हाल सबसे बुरा
उत्तर प्रदेश का हाल इन सभी राज्यों में सबसे बुरा है. बीते एक हफ्ते से यहां हर रोज औसतन 34,136 मामले सामने आ रहे हैं. कई जिले अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की किल्लत से जूझ रहे हैं. बीते 24 घंटों में यहां 34,372 नए मामले दर्ज किए गए और 332 लोगों की मौत हो गई. प्रदेश में अब तक 12,52,324 कोरोना पॉजिटिव केस दर्ज किए जा चुके हैं. 12,570 लोगों की मौत हो चुकी है.
चुनाव सिर्फ मतगणना के साथ समाप्त नहीं होते. आने वाले समय में मतगणना, जीतने वालों का जश्न और शपथ ग्रहण जैसे आयोजन बाकी हैं जिनमें कार्यकर्ताओं और लोगों की भीड़ स्वाभाविक है. ऐसे में इन सभी राज्यों के सामने कोरोना के कहर के बीच चुनाव की औपचारिकताओं को पूरा करना एक बड़ी चुनौती साबित होगा.

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