भिलाई. देश-दुनिया में लोहे के लिए पहचाना जाने वाला भिलाई इस्पात संयंत्र अब ऑक्सीजन देकर लोगों की जान बचाने के लिए नई पहचान बना रहा है. कोविड-19 के संकट से जब देश जूझ रहा है, ऐसे में भिलाई इस्पात संयंत्र हर जरूरतमंद मरीजों तक सांसें पहुंचाने का कार्य कर रहा है.
एक ओर संकटकाल में भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा ऑक्सीजन प्लांट के माध्यम से संपूर्ण देश में ऑक्सीजन की सप्लाई कर लोगों की जान बचाने का प्रयास किया जा रहा है. तो दूसरी ओर भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा संचालित जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय प्रदेश के सबसे बडे़ कोविड सेंटर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा है.
दोनों ही कार्यों को प्रबंधन पूरी शिद्दत के साथ कर रहा है ताकि संकटकाल में वो अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकें. ऑक्सीजन प्लांट की अहम भूमिका – भिलाई इस्पात संयंत्र ने छत्तीसगढ़ प्रदेश के संकटकालीन जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ऑक्सीजन की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित की है.
आज सिलेंडरों में भरी भिलाई की ऑक्सीजन छत्तीसगढ़ सहित दीगर प्रांतों के मरीजों की लाइफ लाइन बन चुकी है. कोरोना संकट में भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा उत्पादित ऑक्सीजन ने लाखों लोगों को जीवनदान दिया है.
भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा संचालित ऑक्सीजन प्लांट-2 जो कि प्रतिदिन 25 टन मेडिकल ऑक्सीजन तथा ‘बिल्ड, ओन व ऑपरेट” अर्थात् बीओओ-आधारित मेसर्स प्राॅक्स एयर से 280 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का निरंतर उत्पादन किया जा रहा है. इस प्रकार भिलाई इस्पात संयंत्र प्रतिदिन 265 टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहा है.
मरीजों की जान बचाने में जेएलएन अस्पताल ने भिलाई अपनी महत्वपूर्ण भूमिका
भिलाई इस्पात संयंत्र के जेएलएन अस्पताल में वर्तमान में कोविड-19 मरीजों की संख्या में अत्याधिक बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में अपनी विश्वास को बरकरार रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पूरी शक्ति झोंक दी है.
एक ओर मरीजों के बेहतर इलाज सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है तो दूसरी ओर सुविधाओ में भी भारी बढ़ोतरी की गई है. सामान्य दिनों की अपेक्षा सिर्फ अप्रैल माह में ही अब तक करीब 16000 लोग अपना इलाज करवाने पहुंच चुके हैं. जो सामान्य से 5 गुना अधिक है. कोविड-19 मरीजों के इस बढ़ते दबाव के बीच बीएसपी प्रबंधन ने निरंतर सुविधाओं में वृद्धि की है.
Add Comment