सरकार मानने वाली नहीं है, इलाज तो करना पड़ेगा… ट्रैक्टरों के साथ अपनी तैयारी रखो, किसानों नेता राकेश टिकैत ने दी चेतावनी…

नये कृषि कानूनों के विरोध में छह महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर हजारों किसान डेरा डाले हुए हैं. अब किसानों ने आर-पार की लड़ाई लड़ने का ऐलान किया है.
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि, सरकार मानने वाली नहीं है. इलाज तो करना पड़ेगा. ट्रैक्टरों के साथ अपनी तैयारी रखो. जमीन बचाने के लिए आंदोलन तेज करना होगा.
“केन्द्र सरकार ये गलतफहमी अपने दिमाग से निकाल दे कि किसान वापस जाएगा” किसान तभी वापस जाएगा, जब मांगें पूरी हो जाएंगी. हमारी मांग है कि तीनों कानून रद्द हों. एमएसपी पर कानून बने.
किसान महापंचायत ने दिया 10 दिन का अल्टीमेटम, हरियाणा में होगी पंचायत
जीटी रोड पर एक तरफ का रास्ता खुलवाने को लेकर रविवार को सेरसा गांव में किसानों की महापंचायत हुई. इसमें फैसला लिया कि 10 दिन में रास्ता नहीं खोला गया तो ग्रामीण दिल्ली व हरियाणा की एक साझी महापंचायत करेंगे. जब तक रास्ता नहीं मिलेगा, ग्रामीण अपना संघर्ष जारी रखेंगे. इसके साथ ही महापंचायत का प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय गृहमंत्री व सीएम से मिलेगा.
पंचायत ने सर्वसम्मति से आंदोलनकारियों एवं सरकार को 10 का अल्टीमेटम दिया. यदि एक तरफ का रास्ता खाली नहीं करवाया तो सरकार व आंदोलनकारी ही जिम्मेदार होंगे. दूसरा निर्णय लिया कि बॉर्डर पर हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए स्थानीय लोगों के साथ मिलकर कमेटी बनाई जाएगी. तीसरा निर्णय लिया कि आंदोलनकारियों द्वारा लगाए बेरिकेडिंग हटवाए जाएंगे. मंच अगले सप्ताह एक कमेटी बनाकर जनप्रतिनिधियों एवं खाप प्रधानों से मिलकर समर्थन लेगा.
छह महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं किसान
नये कृषि कानूनों के विरोध में छह महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर हजारों किसान डेरा डाले हुए हैं, जो मुख्यत: पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं. इन किसानों को आशंका है कि नये कृषि कानूनों के अमल में आने से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की सरकारी खरीद समाप्त हो जाएगी. उच्चतम न्यायालय ने तीनों कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर अगले आदेश तक रोक लगा रखी है और समाधान खोजने के लिए एक समिति का गठन किया है.
किसान आंदोलन: अब तक क्या-क्या हुआ
सुप्रीम कोर्ट ने भी 11 जनवरी को अगले आदेश तक इन तीन कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी थी और गतिरोध को हल करने के लिए चार सदस्यीय समिति बनाई. भारतीय किसान यूनियन (मान) के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त समिति से खुद को अलग कर लिया था. शेतकरी संगठन (महाराष्ट्र) के अध्यक्ष अनिल घनवत, कृषि अर्थशास्त्री प्रमोद कुमार जोशी तथा अशोक गुलाटी समिति के अन्य सदस्य हैं. उन्होंने हितधारकों के साथ परामर्श प्रक्रिया पूरी कर ली है. किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा, ‘हमारी मुख्य मांग हमेशा से ही तीनों कानूनों को वापस लेने और एमएसपी पर लिखित आश्वासन देने की रही है. ये ही मुख्य मुद्दे हैं और इसलिए हम प्रदर्शन कर रहे हैं और करते रहेंगे. हम 2024 तक इसे जारी रखने के लिए तैयार हैं.’
इससे पहले 20 जनवरी को हुई 10वें दौर की वार्ता के दौरान केंद्र ने 1-1.5 साल के लिए कानूनों को निलंबित रखने और समाधान खोजने के लिए एक संयुक्त समिति बनाने की पेशकश की थी, जिसके बदले में विरोध करने वाले किसानों से दिल्ली की सीमाओं से हटकर अपने घर जाने को कहा गया था.किसान संगठनों ने आरोप लगाया है कि ये कानून मंडी और एमएसपी खरीद प्रणाली को खत्म कर देंगे और किसानों को बड़े कॉरपोरेट्स की दया पर छोड़ देंगे. हालांकि, सरकार ने इन आशंकाओं को गलत बताते हुए इन्हें खारिज कर दिया.