‘ज्यादातर बच्चों में नहीं दिखाई देते संक्रमण के लक्षण’, जानिए कोरोना की तीसरी लहर को लेकर क्या कहा सरकार ने…

एक्सपर्ट्स लगातार कोरोना की तीसरी लहर (Covid Third Wave) और उस दौरान बड़ी संख्या में बच्चों (Children) के प्रभावित होने की आशंका जता रहे हैं. इसे लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को संकेत दिया कि तीसरी लहर मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित कर सकती है, इसलिए बच्चों में कोविड के मामलों पर कड़ी नजर रखी जा रही है. वैक्सीन प्रशासन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष डॉ. वीके पॉल (Dr VK Paul) मंगलवार को कहा कि कोरोना से संक्रमित होने वाले ज्यादातर बच्चे स्पर्शोन्मुख हैं, जिसका मतलब है कि उन्हें संक्रमण तो हो जाता है, लेकिन उसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं.
पॉल ने कहा, “कुछ मामलों में कोरोनावायरस बच्चों को दो तरह से प्रभावित कर सकता है. पहली बार में उनमें निमोनिया जैसे लक्षण पाए गए हैं. वहीं दूसरे में, हाल ही में कोरोना बीमारी से ठीक होने वाले बच्चों में मल्टी-इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम के भी कुछ मामले पाए गए हैं, जिसमें कोविड से ठीक होने के छह हफ्तों बाद, कुछ बच्चों को फिर से बुखार हो जाता है, साथ ही चकत्ते और उल्टी के भी लक्षण देखे जाते हैं.” उन्होंने कहा, “हम इन मामलों पर नजर बनाए रखे हैं. हमारे डॉक्टर और बाल रोग विशेषज्ञ इन पोस्ट-कोविड लक्षणों को अच्छी तरह संभाल सकते हैं.”
इस आधार पर जताई जा रही ये आशंका
इससे पहले, सरकार ने कोरोना की तीसरी लहर के दौरान बच्चों के सबसे ज्यादा प्रभावित होने की आशंका को खारिज कर दिया था. सरकार ने कहा था कि ऐसे कोई संकेत नहीं हैं, जिससे पता चले कि संक्रमण की तीसरी लहर में बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. वहीं, अब सरकार ने वायरस के अपने व्यवहार में बदलाव की संभावना को भी स्वीकार किया है. इस बदलाव को लेकर एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना की पहली लहर में मुख्य रूप से बुजुर्ग और दूसरी लहर में मुख्य रूप से युवा आबादी प्रभावित हुई है.
ज्यादातर बच्चे इस बीमारी से सुरक्षित : डॉ. गुलेरिया
पॉल ने कहा, “इसी तरह तीसरी लहर के दौरान बच्चों में कोरोना का प्रभाव बढ़ सकता है. डेटा से पता चला है कि कम संख्या में ही सही, लेकिन बच्चों को अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है, इसे लेकर हम तैयारियों पर जोर दे रहे हैं. वहीं, दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के प्रमुख और केंद्र की कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख सदस्य डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोविड की पहली और दूसरी लहर के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि बच्चे ज्यादातर इस बीमारी से सुरक्षित रहते हैं.
“फिलहाल अभी इस बात के कोई सबूत नहीं कि…”
उन्होंने कहा, “कोरोनावायरस एक विशेष किस्म के प्रोटीन के जरिए शरीर में प्रवेश करता है, वह प्रोटीन वयस्कों की तुलना में बच्चों के शरीर में बहुत कम होता है.” उन्होंने कहा, “जिन लोगों ने ये सिद्धांत बनाया है कि तीसरी लहर में बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे, ऐसे एक्सपर्ट्स का ये कहना है कि बच्चे कोरोना की पहली दो लहरों में संक्रमित नहीं हुए हैं और इसलिए वे अगली लहर में ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन अभी तक इस बात का कोई सबूत नहीं है कि आगे जाकर मुख्य रूप से बच्चों में ही संक्रमण फैलेगा”.