छत्तीसगढ़ में राजीव गांधी किसान न्याय योजना की शेष दो किस्तों का भुगतान आने वाले समय में किया जाएगा। पहली किस्त 21 मई को दी जा चुकी है जबकि दूसरी किस्त का भुगतान 20 अगस्त को होगा। वहीं 2020-21 में होने वाली धान खरीदी और अंतर की राशि देने का फैसला कैबिनेट में तय किया जाएगा। इससे पहले गुरुवार सुबह खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के इस संबंध में दिए बयान को लेकर सरकार को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा।
उनके बयान पर भाजपा ने हमला किया। इसके जवाब में शाम को स्वयं मंत्री भगत को सामने आना पड़ा। उनके साथ सरकार के प्रवक्ता मोहम्मद अकबर भी थे। पत्रकारों से चर्चा में खाद्य मंत्री भगत ने बताया कि आगामी खरीफ फसलों के अंतर की राशि संबंध में फैसला मंत्रिमंडल लेगी। धान खरीदी और राजीव गांधी किसान न्याय योजना के लिए दो अलग-अलग उपसमितियां बनाई गई हैं। भगत ने कहा कि आगामी वर्ष की धान खरीदी के लिए कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे की अध्यक्षता में बनी उपसमिति की अनुशंसा पर मंत्रिमंडल अंतिम निर्णय लेगी। उन्होंने बताया कि इस सीजन के लिए सरकार ने तैयारियां पूरी कर ली हैं।
धान बेचने के लिए पंजीयन 17 अगस्त से 31 अक्टूबर तक होगा तथा गिरदावली का काम 1 अगस्त से 20 सितंबर किया जाएगा। किसान न्याय योजना को लेकर मंत्रिमंडल उपसमिति की बैठक हाल ही में हुई थी जिसमें बारदाने खरीदी के लिए जूट कमिश्नर को पत्र भेजने और 1500 करोड़ 20 अगस्त को जारी करने का फैसला लिया गया था।
पंजीकृत किसानों को पंजीयन की जरूरत नहीं : अकबर
वनमंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि इस साल 85 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है। पिछले खरीफ सीजन में 19 लाख 55 हजार किसानों ने पंजीयन कराया था। सभी किसान धान नहीं बेचते हैं। पिछले सीजन में पंजीकृत किसानों की तुलना में 16 लाख 90 हजार किसानों ने अपना धान बेचा था।
अकबर ने कहा कि पिछले खरीफ सीजन के जितने किसान भुईयां में पंजीकृत हैं उन्हें अलग से पंजीयन कराने की जरूरत नही है। पिछले सीजन की अंतर की राशि देने का जो निर्णय लिया गया था, उसकी किस्त ही अभी दी जा रही है। वर्तमान में जो चल रहा है उसी के मुताबिक मंत्री भगत ने 10 हजार रुपए प्रति एकड़ देने की बात कही है।
किसानों का डाटा बैंक तैयार होगा, गिरदावरी के समय सरकार मांगेगी आधार और मोबाइल नंबर
राज्य सरकार किसानों का डाटा बैंक तैयार करेगी। इसके लिए किसानों से आधार और मोबाइल नंबर लिए जाएंगे। पिछले साल पंजीकृत किसानों को धान एवं मक्का खरीदी के लिए इस साल भी पात्र माना जाएगा। इन किसानों का पंजीयन कराने समिति में आने की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, पहले से पंजीकृत किसान यदि कोई संशोधन कराना चाहते हैं तो इसे सीमित मॉड्यूल के माध्यम से किया जा सकेगा।
पंजीकृत किसानों का डाटा 17 अगस्त से 31 अक्टूबर तक अपडेट किया जाएगा। पंजीकृत किसानों की दर्ज भूमि एवं धान और मक्का के रकबे और खसरे को राजस्व विभाग की मदद से अपडेट किया जाएगा। बता दें कि किसान पंजीयन का काम राजस्व दस्तावेज के अनुसार किया जाता है इसलिए गिरदावरी का काम राजस्व विभाग द्वारा समय पर पूरा कर पंजीयन के लिए डेटा उपलब्ध कराया जाएगा। गिरदावरी के समय सभी किसानों से आधार एवं मोबाइल नंबर भी लिया जाएगा।
खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने राज्य के सभी संभागायुक्त, कलेक्टरों, पंजीयक सहकारी संस्थाएं एवं प्रबंध संचालक नवा रायपुर को इस संबंध में पत्र भेजा। इसमें खरीफ 2019-20 में पंजीकृत किसानों की दर्ज भूमि एवं धान के रकबे और खसरे की जानकारी की सूची संबंधित क्षेत्र के पटवारी को उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है।
नए पंजीयन के लिए डेढ़ माह : खरीफ 2020-21 के लिए 17 अगस्त से 31 अक्टूबर के बीच नए किसानों का पंजीयन किया जाएगा। नए पंजीयन के लिए किसानों को संबंधित दस्तावेज के साथ तहसील कार्यालय में आवेदन देना होगा।
प्रभारी सचिव एक माह में बनाएं गिरदावरी
मुख्य सचिव आरपी मंडल ने जिलों के प्रभारी सचिवों को एक माह के भीतर त्रुटिरहित गिरदावरी का काम पूरा कराने कहा है। उन्होंने किसानों को समर्थन मूल्य पर धान व मक्का खरीदी और किसान न्याय योजना के रकबे के आधार पर किसानों को लाभ दिया जाता है।
इसके लिए वास्तविक कृषक, उनके सही रकबे और उसमें लगी फसल का सत्यापन जरूरी है। राज्य के विभिन्न जिलों में ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां धान के अतिरिक्त अन्य फसलों का बृहद क्षेत्र में उत्पादन किया जाता है। न्याय योजना के तहत खरीफ मौसम के लिए धान, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, तिल, अरहर, मुंग, उड़द, कुलथी, रामतिल, कोदो, कुटकी, रागी व रबी में गन्ना फसल को शामिल किया गया है।
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