अब दुश्मनों के हर तरह के नापाक मंसूबे फेल हो जाएंगे, क्योंकि गेमचेंजर ‘राफेल’ भारत आ चुका है। वहीं इस फाइटर जेट की तैनाती अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर की गई है। राफेल को अफगानिस्तान, लीबिया, माली और इराक में इस्तेमाल किया जा चुका है और अब इसे हिन्दुस्तान भी इस्तेमाल करेगा।
आरबी और बीएस सीरीज के होंगे राफेल
फ्रांस से 7364 किलोमीटर का सफर तय कर 4.5 फोर्थ जनरेशन के फाइटर जेट राफेल बुधवार को अंबाला की सरजमीं पर उतरे। पांचों राफेल आरबी-001 से 005 सीरीज के होंगे। आरबी का मतलब है एयर चीफ राकेश भदौरिया, जबकि शेष बीएस-001 से जुड़े हैं। बीएस का मतलब है पूर्व एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ। राफेल 17 स्कवाड्रन का हिस्सा होंगे। इसे गोल्डन एरोस का नाम दिया गया है। सूत्रों की मानें तो अंबाला में एक और राफेल आएगा, लेकिन कुछ समय के बाद उसका आना होगा। आरबी 001 से लेकर आरबी 06 तक की सीरीज अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात की गई है।
सात पायलट उड़ाकर लाए पांच राफेल
सात प्रशिक्षित पायलट इन पांच राफेल लड़ाकू विमानों को भारत तक सकुशल उड़ा कर लाए। यह सात पायलट करीब एक साल से फ्रांस में राफेल के संचालन की ट्रेनिंग ले रहे थे। अब ये पायलट भारत में अन्य पायलटों को प्रशिक्षण देंगे और खुद भी फ्रांस में ट्रेनिंग लेते रहेंगे। फ्रेंच एयरफोर्स के सहयोग से इन विमानों को हवा में ही रिफ्यूल किया गया। फ्रांस से भारत तक उड़ान के पहले चरण में राफेल यूएई के अलदाफ़्रा एयरबेस पर उतारे गए। उड़ान का दूसरा चरण इसी एयरबेस से शुरू हुआ और 29 जुलाई को अंबाला एयरबेस पहुंचकर खत्म हुआ।
दुश्मन पर भारी पड़ेगी सुखोई के साथ जुगलबंदी
भारतीय वायुसेना के पास अभी तक सबसे खतरनाक लड़ाकू विमानों में सुखोई-30 एमकेआई मौजूद है। सूत्रों ने बताया कि भारतीय वायुसेना के बेड़े में अभी 272 सुखोई विमान इन-सर्विस हैं। यह विमान रशियन हैं और सुपरसोनिक ब्रह्मोस एयर लोडेड क्रूज मिसाइल को ले जाने में भी सक्षम हैं। हाल ही में सुखोई को क्रूज मिसाइल कैरी करने के लिए मॉडिफाई किया गया है। पुलवामा अटैक के बाद इंडियन एयरफोर्स द्वारा की गई एयर स्ट्राइक में सुखोई ने ही अहम भूमिका निभाई थी।अब चूंकि राफेल भी वायुसेना के बेड़े में शामिल हो रहे हैं तो ऐसे में सुखोई और राफेल की जुगलबंदी निसंदेह दुश्मन पर भारी पड़ेगी।
गोल्डन एरो स्क्वाड्रन संभालेगी राफेल की कमान
अंबाला एयरफोर्स स्टेशन में राफेल की तैनाती के लिए एक ऐसी स्क्वाड्रन को जिंदा किया गया है, जिसे एयरफोर्स ने समाप्त कर दिया था। इस स्क्वाड्रन का नाम है 17 गोल्डन एरो। पिछले साल वायुसेना के पूर्व अध्यक्ष बीएस धनोआ ने इसको जिंदा किया था और अब यही स्क्वाड्रन अंबाला में राफेल की कमान संभालेगी। वैसे तो इस स्क्वाड्रन का गठन 1 अक्तूबर 1951 में किया गया था। लेकिन मिग-21 विमानों के बेड़े से बाहर होने के साथ-साथ वर्ष 2016 में इस स्क्वाड्रन को भी समाप्त कर दिया गया था। अब इस गौरवशाली स्क्वाड्रन को सबसे खतरनाक लड़ाकू विमान राफेल के लिए फिर से वजूद में लाया गया है।
चीन के कारण जोधपुर से अंबाला शिफ्ट हुआ राफेल
अंबाला में राफेल की तैनाती के बाद लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) और लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) की सुरक्षा और मजबूत हो जाएगी। यहां से 40 से 45 मिनट के बीच राफेल पाक और चीन बॉर्डर पर पहुंच जाएंगे। फिलहाल तैनाती के सात दिन के भीतर ही राफेल को एलएसी पर तैनात होना है। राफेल एलएसी से ही एलओसी पर भी कड़ी निगरानी रखेगा। दुश्मनों से चल रही तनातनी के बीच यह फैसला लिया गया है। पहले राफेल की स्क्वाड्रन को राजस्थान के जोधपुर एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात किया जाना था। लेकिन जैसे-जैसे चीन से तल्खियां बढ़ती गईं। राफेल की स्क्वाड्रन को अंबाला शिफ्ट कर दिया गया।
सरहद पार किए बिना दुश्मन को लगा देगा ठिकाने
राफेल एयरक्राफ्ट सरहद पार किए बिना दुश्मन के ठिकानों को नेस्तनाबूद करने की क्षमता रखता है। बिना एयर स्पेस बॉर्डर क्रॉस किए राफेल पाकिस्तान और चीन के भीतर 600 किलोमीटर तक के टारगेट को पूरी तरह से प्रभावित करने की क्षमता रखता है। यानी अंबाला से 45 मिनट में बॉर्डर पर राफेल की तैनाती और फिर वहीं से टारगेट लोकेट कर पाकिस्तान और चीन में भारी तबाही का इंतजाम इंडियन एयरफोर्स ने कर लिया है। एयर-टू-एयर और एयर-टू-सरफेस मारक क्षमता में सक्षम राफेल की रेंज (एयरबेस से विमान की उड़ान के बाद ऑपरेशन खत्म कर वापस एयरबेस तक लौटने की सीमा) वैसे तो 3700 किलोमीटर बताई जा रही है। मगर चूंकि इस विमान को हवा में ही रिफ्यूल किया जा सकता है। इसलिए इसकी रेंज निर्धारित रेंज से कहीं ज्यादा बढ़ाई जा सकती है। यानी जरूरत पड़ी तो राफेल दुश्मन के इलाके के भीतर जाकर 600 किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी तक ताबड़तोड़ एयर स्ट्राइक कर सकता है।
100 किमी के दायरे में 40 टारगेट एक साथ पकड़ेगा
राफेल की एक बड़ी खासियत यह भी है कि एक बार एयरबेस से उड़ान भरने के बाद 100 किलोमीटर के दायरे में राफेल 40 टारगेट एक साथ पकड़ेगा। इसके लिए विमान में मल्टी डायरेक्शनल रडार फिट किया गया है। यानी 100 किलोमीटर पहले से ही राफेल के पायलट को मालूम चल जाएगा कि इस दायरे में कोई ऐसा टारगेट है, जिससे विमान को खतरा हो सकता है। यह टारगेट दुश्मन के विमान भी हो सकते हैं। टू सीटर राफेल का पहला पायलट दुश्मनों के टारगेट को लोकेट करेगा। दूसरा पायलट लोकेट किए गए टारगेट का सिग्नल मिलने के बाद उसे बर्बाद करने के लिए राफेल में लगे हथियारों को ऑपरेट करेगा।
हवा में ही दुश्मन के विमान का राडार कर सकता है जाम
राफेल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि फाइटर जेट दुश्मन के विमान के राडार को हवा में ही जाम कर सकता है। ऐसा करने से यह विमान दुश्मन के विमान को न केवल गच्चा देने में सक्षम है, बल्कि दुश्मन के विमान को आसानी से हिट भी कर सकता है। राफेल विमान के कॉकपिट में ऐसा सिस्टम डिजाइन किया गया है, जिससे युद्ध के दौरान पायलट का पूरा फोकस फ्लाइंग के साथ-साथ दुश्मन के टारगेट को हिट करने में एकाग्रता के साथ बना रहे। इसके लिए स्मार्ट टेबलेट बेस मिशन प्लानिंग एंड एनालिसिस सिस्टम को अपनाया गया है। यह सिस्टम ऑपरेशन में पायलट की एकाग्रता को बनाए रखने में अहम साबित होगा। यूं कहें कि पायलट तुरंत टारगेट लोकेट करेगा और पूरी एकाग्रता के साथ उसे हिट करेगा इससे टारगेट मिस होने का चांस बहुत कम रहेगा।
एक टन के कैमरे से पिन प्वाइंट पर लगेगा अचूक निशाना
3700 किलोमीटर तक मारक क्षमता रखने वाले फाइटर जेट राफेल भारत आने से न केवल एयर डिफेंस को मजबूती मिलेगी, बल्कि विजिलेंस भी मजबूत हो जाएगा। परमाणु हथियार समेत तमाम मारक हथियारों को इसके माध्यम से लॉन्च किया जा सकेगा। हथियारों की स्टोरेज के लिए छह महीने की गारंटी भी होगी। इन सभी सुविधाओं के अलावा राफेल में राडार सिस्टम पर एक टन के कैमरे की सुविधा उपलब्ध है। यही सुविधा इसे तमाम लड़ाकू विमानों से पूरी तरह से अलग करती है। एक टन के कैमरे से इसका निशाना अचूक होगा। कैमरा इतना सेंस्टिव(संवेदनशील) है कि जमीन पर छोटी से छोटी चीज कोभी इससे देखा जा सकेगा। साधारण शब्दों में यदि कहा जाए तो इससे मछली की आंख यानि पिन प्वाइंट पर आसानी से निशाना लगाया जा सकेगा।
कई तरह की आधुनिक तकनीकों से लैस है राफेल
राफेल एक मिनट में करीब 60 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। इससे भारतीय वायुसेना के आधुनिकीकरण को गति मिलेगी। अभी तक भारतीय वायुसेना का मिग विमान अचूक निशाने के लिए जाना जाता था, लेकिन राफेल का निशाना इससे भी ज्यादा सटीक होगा। राफेल विमान फ्रांस की डेसाल्ट कंपनी द्वारा बनाया गया 2 इंजन वाला लड़ाकू विमान है। ये युद्ध के समय अहम भूमिका निभाने में सक्षम है। हवाई हमला, जमीनी समर्थन, वायु वर्चस्व, भारी हमला और परमाणु प्रतिरोध ये सारी राफेल विमान की खूबियां हैं। तकनीक में उन्नत यह विमान हवाई निगरानी, ग्राउंड सपोर्ट, इन डेप्थ स्ट्राइक, एंटी-शर्प स्ट्राइक और परमाणु अभियानों को अंजाम देने में दक्ष है। इसमें मल्टी मोड रडार लगे हैं।
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