छत्तीसगढ़

पेयजल में फ्लोराइड की अधिकता, गांव की आधी आबादी दिव्यांग की श्रेणी में

बीजापुर। भूगर्भीय जल में फ्लोराइड की अधिकता अंचल के कई गांवों के युवाओं को तीस साल की उम्र में ही लाठी थामने के लिए विवश कर दिया है। ऐसा ही एक गांव गुल्लागेटा पंचायत का गेर्रागुड़ा भी है। यहां पेयजल में फ्लोराइड की अधिकता ने गांव की आधी आबादी को दिव्यांग की श्रेणी में ला खड़ा किया है। स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की ओर से पीने लायक पानी का बंदोबस्त किए जाने के बाद भी गांव में फ्लोराइडयुक्त पानी की समस्या कायम है। तीस की उम्र में इस गांव के युवा हड्डी में विकृति आने के चलते लाठी पकड़कर चलने को मजबूर हैं। दांत भी मैले और सड़े हुए नजर आते हैं। कई ग्रामीणों से चर्चा करने पर उनका कहना था कि फ्लोराइड की अधिकता की समस्या का समाधान शासन को ढूँढना है। यहां न कभी स्वास्थ्य विभाग का अमला आता है, न ही समस्या को कोई निदान तलाशा जा रहा है, जिसका खामियाजा जनता भुगत रही है। पीएचई के सब इंजीनियर का कहना है कि विभाग ने योजना तैयार कर पंचायत को सौंप दिया गया है। अब पंचायत की जिम्मेदारी है कि वह पंप हाऊस ठीक रखे और नियमित रूप से पानी की सप्लाई करे। गेर्रागुड़ा में फ्लोराइड की समस्या को देखते पीएचई ने गुल्लापेटा में बोर किया। यहां फ्लोराइड की मात्रा 1.5 पीपीएम से अधिक पाई गई है। पंचायत मुख्यालय से पाइपलाइन से गेर्रागुड़ा तक पानी भेजा जा रहा है, पर बीच-बीच में शरारती तत्वों द्वारा मोटर पंप से छेडख़ानी जल आपूर्ति में बाधा बन जाती है। मजबूरी में लोग कुंए का पानी पी लेते हैं। संपन्न लोग ब्लॉक मुख्यालय से पानी लाते हैं।

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