रायपुर। प्रदेश भर के मरीजों का आगमन शहर में आये दिन होते रहता है। शासकीय चिकित्सालयों में बरती जा रही लापरवाही के चलते अधिकांश मरीज इन दिनों निजी चिकित्सा संस्थानों में महंगी चिकित्सा कराने पर मजबूर है।
रोहिणीपुरम क्षेत्र के एक मरीज ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि आईसीसीयू का बिल एवं वेन्टीलेटर के शुल्क में अचानक हुई वृद्धि के कारण मरीजों को लाखों रुपये का बिल चुकता कर इलाज कराना पड़ रहा है। शहर के नामचीन कुछ बड़े अस्पतालों में प्रतिदिन आईसीयू में भर्ती मरीजों को वेन्टीलेटर शुल्क के रूप में प्रतिदिन 25 हजार रुपये अदा करने पड़ रहे हैं।
वहां स्थित मेडिकल स्टोरों में भी जीएसटी चार्ज के नाम पर दवाईयों को लेने पर अनाप शनाप वसूली हो रही है। डंगनिया क्षेत्र की चिकित्सक डॉ. मंजू शुक्ला एवं डॉ. अर्चना खोसले ने प्रतिनिधि को जानकारी देते हुए बताया कि शासन का नियंत्रण नहीं होने के कारण आईएमए एसोसिशन के कुछ चिकित्सक मनमानी पर उतर आये हैं।
ज्ञातव्य है कि अभी कोरोना वायरस कोविड-19 की दवा डब्ल्यूएचओ के अनुसार नहीं बनी है फिर कुछ मरीजों से लाखों की वसूली करना सेवा के नाम पर व्यापार करना है। नेशनल बिल बोर्ड अथवा मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया द्वारा बनाये गये नियमों के अनुसार इन दिनों अधिकांश निजी चिकित्सा संस्थानों में नियमों का बार-बार उल्लंघन हो रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. चंद्रमणी तिवारी ने मुयमंत्री भूपेश बघेल एवं स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से मनमानी कर रहे डॉक्टरों के खिलाफ सत कार्रवाई की मांग करते हुए जांच के दौरान दोष सिद्ध होने पर राज्य एवं केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत किये गये अनुबंध को रद्द करने की मांग की है।
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