भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद का प्रभाव भारतीय क्रिकेट बोर्ड की महात्वाकांक्षी इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) पर पड़ सकता है।
इस विवाद की वजह से भारत में चीन के सामान के बढ़ रहे विरोध को देखते हुए बीसीसीआई आईपीएल के प्रमुख स्पॉन्सर वीवो, जो कि एक चीन की कंपनी है उसे बदल सकती है। वीवो ने साल 2018 में 2,199 करोड़ रुपए में पांच साल के लिए आईपीएल की स्पॉन्सरशिप खरीदी थी।
अगर जनता का विरोध बढ़ता है तो बीसीसीआई वीवो को हटाने पर मजबूर हो सकता है। बता दें कि आईपीएल का 13वां सीजन कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह से अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था। फिलहाल बीसीसीआई इस टूर्नामेंट का सितंबर-अक्टूबर में करवाना चाहता है।
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा, “ऐसी बातें चल रही है कि दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ने की स्थिति में क्या किया जाएगा। लेकिन हमारा पहला लक्ष्य इस साल आईपीएल का आयोजन है, चाहे हमें खाली स्टेडियम में ही क्यों ना खेलना पड़े। लीग ना होना हमारे लिए ज्यादा बड़ा आर्थिक नुकसान होगा।”
बोर्ड अधिकारी ने कहा कि अगर सरकार आदेश देती है तो ही वो वीवो की स्पॉन्सरशिप रद्द करेंगे। उन्होंने कहा, “अगर सरकार ने वीवो को भारत में बिजनेस करने की इजाजत दी है तो मुझे नहीं लगता कि कोई भी उनका कॉन्ट्रेक्ट रद्द करने के लिए कह सकता है। इससे बोर्ड और क्रिकेट को काफी नुकसान होगा।”
भारतीय बाजार की दूसरी सबसे बड़ी हिस्सेदार मोबाइल कंपनी वीवो स्पॉन्सरशिप के लिए हर साल बोर्ड को 440 करोड़ रुपए देती है। साथ मार्केटिंग और प्रमोशन के लिए अतिरिक्त 100-150 करोड़ की रकम भी खर्च करती है।
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