
नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को छोड़कर पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) का लाभ लेने की छूट दे दी है. इसके तहत 1 जनवरी 2004 से 28 अक्टूबर 2009 के बीच केंद्र सरकार या केंद्रीय स्वायत्त संस्थाओं में न्यू पेंशन स्कीम के तहत नियुक्त हुए कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ ले सकते हैं.
उन्हें सेंट्रल सिविल सर्विस (पेंशन) रूल्स, 1972 के तहत ये विकल्प दिया जा रहा है. इस विकल्प का चुनाव वे सभी सरकारी कर्मचारी कर सकते हैं, जिनकी केंद्र सरकार, केंद्रीय संस्था या राज्य सरकार या राज्य की स्वास्यत्त संस्था से तकनीकी इस्तीफे के बाद केंद्र सरकार या केंद्रीय स्वायत्त संस्था में बताई गई अवधि के बीच फिर से नियुक्ति हुई हो.
इससे उन्हें केंद्र सरकार या केंद्रीय स्वायत्त संस्था से अंतिम सेवानिवृत्ति पर पेंशन का ज्यादा लाभ मिल सकेगा.
किन कर्मियों को मिलेगा पुरानी पेंशन स्कीम का फायदा
कुछ मामलों में 1 जनवरी 2004 से 28 अक्टूबर 2009 के बीच पुरानी पेंशन प्रणाली के तहत पिछली सेवाओं की गणना का लाभ नहीं मिलने के कारण राज्य सरकार/ राज्य स्वायत्त निकायों के कर्मचारियों को केंद्र सरकार के पेंशनभोगी विभागों या केंद्रीय स्वायत्त निकायों में 1 जनवरी 2004 के बाद और 28 अक्टूबर, 2009 तक नियुक्ति से पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के लिए मजबूर होना पड़ा.
ऐसे मामलों में कर्मचारियों के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने को तकनीक इस्तीफा माना जाएगा. ऐसे सरकारी कर्मचारियों को भी पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ दिया जाएगा. हालांकि, उन्हें पिछली सेवाओं की गणना का लाभ लेने के लिए जरूरी बाकी सभी शर्तें पूरी करनी होंगी.
ओपीएस का विकल्प चुनने की सुविधा उन कर्मचारियों को मिलेगा, जो रेलवे पेंशन रूल्स या सीसीएस (पेंशन) रूल्स, 1972 के इतर पुरानी पेंशन स्कीम के तहत आने वाले दूसरे केंद्रीय संस्थानों या सीसीएस (पेंशन) रूल्स जैसी पुरानी पेंशन स्कीम के तहत आने वाले राज्य सरकार के विभागों या स्वायत्त संस्थाओं में में 1 जनवरी 2004 से पहले नियुक्त हो गए थे. इसके बाद उन्होंने केंद्र सरकार के पेंशनभोगी विभाग या कार्यालय या केंद्रीय स्वायत्त संस्था में नियुक्ति के लिए पिछली नौकरी से इस्तीफा दे दिया था.
OPS के लिए 11 सितंबर तक कर सकते हैं आवेदन
डिपार्टमेंट ऑफ पेंशन एंड पेंशनर्स की ओर से जारी ऑफिस मेमोरैंडम के मुताबिक, योग्य कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) का लाभ लेने के लिए 11 सितंबर 2020 तक आवेदन करना होगा. आवेदन नहीं करने वाले सरकारी कर्मचरियों को नेशनल पेंशन सिस्टम के प्रावधानों के तहत फायदा मिलता रहेगा.
वहीं, 1 जनवरी 2004 से 28 अक्टूबर 2009 के बीच नियुक्त हुए और सीसीएस (पेंशन) रूल्स के तहत पेंशन लाभ लेने वाले सरकारी कर्मचारियों को पहले की ही तरह फायदा मिलता रहेगा. दरअसल पुरानी पेंशन स्कीम NPS से ज्यादा फायदेमंद है. पु
स्कीम में बेनिफिट ज्यादा हैं. इसमें पेंशनर के साथ उसका परिवार भी सुरक्षित रहता है. छूटे कर्मचारियों को अगर OPS का बेनिफिट मिलता है तो इससे उनका रिटायमेंट सुरक्षित हो जाएगा.
पुरानी पेंशन स्कीम ही क्यों चाहते हैं सरकारी कर्मचारी
सरकार ने 1 जनवरी 2004 से नई पेंशन योजना (NPS) लागू की है. वहीं, कई राज्यों में 1 अप्रैल 2004 से NPS लागू हुई. खास बात यह है कि NPS में नए कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय पुराने कर्मचारियों की तरह पेंशन और पारिवारिक पेंशन के बेनिफिट नहीं मिलेंगे. इस योजना में नए कर्मचारियों से वेतन और महंगाई भत्ते का 10 फीसदी योगदान लिया जाता है, जबकि सरकार 14 फीसदी योगदान देती है.
सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना को अच्छा मानते हैं, क्योंकि उसमें आखिरी बार निकाली गई सैलरी के आधार पर पेंशन बनती थी. इसके अलावा महंगाई दर बढ़ने के साथ महंगाई भत्ता (DA) भी बढ़ जाता था. साथ ही जब सरकार नया वेतन आयोग लागू करती है तो भी पेंशन में बढ़ोतरी होती है.
केंद्र ने एनपीएस के फंड के लिए अलग से खाते खुलवाए और निवेश के लिए फंड मैनेजर भी नियुक्त किए गए. अगर पेंशन फंड का शेयर बाजार, बॉन्ड में निवेश का रिटर्न अच्छा रहा तो PF और पेंशन की पुरानी स्कीम की तुलना में नए कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर अच्छा रिटर्न भी मिल सकता है. वहीं, कर्मचारी इस पर सवाल उठा रहे हैं. उनके मुताबिक, यह पहले से कैसे कहा जा सकता है कि रिटर्न अच्छा होगा. अगर पैसा डूब गया तो नुकसान कर्मचारी का है. इसलिए वे NPS का विरोध कर रहे थे.