कोरोना वायरस (Coronavirus) का इलाज ढूंढने की कोशिश में दुनियाभर के वैज्ञानिक और शोधकर्ता दिनरात जुटे हैं. हर दिन एक नई स्टडी रिपोर्ट दुनिया के सामने आ जाती है.
कभी नई वैक्सीन (Vaccine) की जानकारी मिलती है तो कभी नए इलाज (Treatment) के बारे में पता चलता है. हालांकि, अभी तक कोई भी पुख्ता तौर पर इलाज ढूंढने का दावा नहीं कर पाया है.
इसी बीच फ्रांस (France) की नई रिसर्च उन सभी शोध को झुठला रही है, जिनमें कहा गया था कि स्मोकिंग (Smoking) करने वालों को संक्रमण का ज्यादा खतरा है.
फ्रांस के शोधकर्ताओं ने रिसर्च में पाया कि जो लोग किसी भी तरह से तंबाकू (Tobacco) का सेवन करते हैं और खासकर जो लोग स्मोकिंग करते हैं, उनके कोरोना वायरस की चपेट में आने की आशंका काफी कम होती है.
इस शोध की रिपोर्ट सामने आने के बाद फ्रांस की सरकार (France Government) ने देश में तंबाकू की ब्रिक्री पर रोक लगा दी है.
अब क्लीनिकल ट्रायल की मांगी गई है इजाजत
फ्रांस के शोधकर्ता अब क्लीनिकल ट्रायल के जरिये इस बात की जांच करना चाहते हैं कि क्या निकोटीन पैच कोरोना वायरस से बचाव में मददगार साबित होगा.
दरअसल, इससे पहले किए गए शोध में रिसचर्स ने पाया कि निकोटीन का किसी भी स्वरूप में इस्तेमाल नहीं करने वालों के मुकाबले स्मोकिंग करने वाले लोग कम संक्रमित हो रहे हैं.
इसके बाद फ्रांस की सरकार ने तंबाकू की मांग में तेजी की आशंका के चलते निकोटीन उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगा दी है.
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि हम देश में निकोटीन गम और पैचेज के स्टॉक की कमी नहीं होने देना चाहते ताकि इलाज में जरूरत होने पर पर्याप्त मात्रा में तंबाकू उपलब्ध कराई जा सके.
साथ ही हम ये भी नहीं चाहते कि शोध रिपोर्ट के आधार पर लोग तंबाकू उत्पादों का ज्यादा सेवन करने लगें. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, कोई भी विक्रेता 11 मई तक एक महीने के स्टॉक के बराबर निकोटीन उत्पादों की बिक्री नहीं कर सकता है.
शोधकर्ताओं ने 1183 लोगों पर किया अध्ययन
शोधकर्ताओं ने एक अस्पताल में कोविड-19 से संक्रमित पाए गए 483 मरीजों से कुछ सवाल पूछे गए. इनमें सिर्फ 5 फीसदी मरीज ही स्मोकिंग करते थे.
फ्रांस का शीर्ष मेडिकल इंस्टीट्यूट पिटी साल्पेट्रीयर यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल निकोटीन पैच के जरिये कोरोना वायरस के इलाज के क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी का इंतजार कर रहा है.
वहीं, पास्चर इंस्टीट्यूट ने कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित एक इलाके के 700 टीचर्स और स्टूडेंट्स पर किए शोध में पाया कि नॉन-स्मोकर्स के मुकाबले स्मोकिंग करने वाले लोगों के संक्रमित होने की संख्या एक चौथाई है.
उस इलाके में कोरोना टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए लोगों में सिर्फ 7.2 फीसदी लोग ही स्मोकिंग करते थे. फ्रांस के स्वास्थ्य मंत्री ओलिवर वेरन (Olivier Veran) ने कहा है कि इस शोध से इलाज की नई संभावना नजर आ रही है.
‘कोरोना का प्रभावी इलाज हो सकता है तंबाकू’
शोध के को-राइटर और फ्रांस के पाश्चर इंस्टीट्यूट के न्यूरोबायोलॉजिस्ट जीन पियरे चेंजक्स कहते है कि निकोटिन यानी तंबाकू कोशिकाओं के संग्राहकों (Receptors) पर चिपक जाता है.
वह कहते हैं कि अब तक के शोधों के मुताबिक कोरोना वायरस भी शरीर में पहुंचकर कोशिकाओं के इन्हीं रिसेप्टर्स से जाकर चिपक जाता है और लोगों को बीमार कर देता है.
अब अगर उन रिसेप्टर्स पर पहले से ही निकोटीन चिपका होगा तो कोरोना वायरस को कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोका जा सकता है. सीधे शब्दों में समझें तो तंबाकू के प्रयोग से वायरस को शरीर में पहुंचने से रोकना आसान होगा और लोग संक्रमित होने से बच सकेंगे.
वह कहते हैं कि बेशक निकोटीन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, लेकिन नियंत्रित तरीके से निकोटीन एजेंट गंभीर संक्रमण के मामलों में प्रभावी इलाज साबित हो सकता है.
हॉस्पिटल के स्वास्थ्यकर्मियों पर होगा परीक्षण
शोधकर्ता पेरिस के पिटी साल्पेट्रीयर यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के स्वास्थ्यकर्मियों पर तंबाकू पैच का इस्तेमाल कर जांच करना चाहते हैं. अगर स्वास्थ्यकर्मियों पर प्रयोग सफल रहा तो इसका इस्तेमाल मरीजों पर भी किया जाएगा.
द वीक की रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ताओं का कहना है कि क्लीनिकल ट्रायल के जरिये ज्यादा स्पष्ट जानकारी हासिल की जा सकती है. हालांकि, शोधकर्ताओं ने कहा, ‘हम यह बिस्कुल नहीं कहना चाहते कि निकोटीन शरीर के लिए अच्छा है. हम साफ कर देना चाहते हैं कि इस शोध का मकसद लोगों को कोरोना वायरस से निजात दिलाना है न कि निकोटीन के इस्तेमाल की पैरवी करना.
हम लोगों को स्मोकिंग या किसी दूसरे तरीके से निकोटीन लेने के लिए प्रोत्साहित नहीं कर रहे हैं. हम सिर्फ यह कह रहे हैं कि निकोटीन भी कोरोना वायरस का इलाज हो सकता है. यह प्रयोग लोगों की जान बचा सकता है.
चीन में किए शोध के आगे की कड़ी है रिसर्च
शोधकर्ताओं की मानें तो निकोटीन का प्रयोग कोशिकाओं में वायरस की एंट्री को रोक सकता है. इससे कोरोना पॉजिटिव मरीजों में लक्षणों को कम करने में भी मदद मिलेगी.
रिसर्च की भाषा में कहें तो निकोटीन साइटोकिन स्टॉर्म्स को रोकने में मदद कर सकता है. शोधकर्ताओं का मानना है यह एक प्रतिरक्षा प्रणाली का तेज ओवर रिएक्शन हो सकता है, जो कोरोना वायरस के प्रभाव को खत्म या तेजी से कम कर सकता है.
ये अध्ययन चीन के उस शोध के आगे की श्रृंखला है, जिसमें 30 प्रांतों के 552 अस्पतालों के 1,099 संक्रमितों पर रिसर्च की गई थी. इसमें पाया गया था कि कुल संक्रमितों में सिर्फ 12.6 फीसदी ही ऐसे हैं, जो निकोटीन लेते हैं.
हालांकि, इसी शोध में ये भी साफ हुआ था कि अगर स्मोकिंग करने वाला व्यक्ति संक्रमित होता है तो उसकी हालात गंभीर होने की आशंका बहुत ज्यादा होती है.
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