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‘लोगों को कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए जागरुक करें, उन्हें मजबूर न करें’… हाईकोर्ट का राज्य सरकार को आदेश…

मेघालय हाईकोर्ट (Meghalaya High Court) ने गुरुवार को सरकार से कहा कि वह लोगों को कोविड-19 का टीका लगवाने के लिए मजबूर न करे, बल्कि इसके बजाय उन्हें समझाने और जागरुक करने की कोशिश करें. बता दें कि मेघालय में जिन लोगों को वैक्सीन नहीं लगी है उन्हें दुकानें खोलने या टैक्सी चलाने से रोका जा रहा था. इसी को लेकर कोर्ट ने सुनवाई की.

चीफ जस्टिस बिस्वनाथ सोमाद्दर और जस्टिस एचएस थांगखियू की पीठ ने कहा कि सरकार कानून द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया के अलावा आजीविका के अधिकार को छीनकर व्यक्तियों के जीवन के मौलिक अधिकार पर रोक नहीं लगा सकती. कोर्ट ने कहा कि प्रक्रिया भी निष्पक्ष और उचित होनी चाहिए. जबरन वैक्सीनेशन भारतीय संविधान के आर्टिकल 19(1)(g) के मुताबिक मूलाधिकारों का हनन माना जाएगा.

‘वैक्सीन न लगाने पर नहीं छीन सकते आजीविका’
कोर्ट ने कहा कि अबतक ऐसा कोई कानून नहीं है जिसमें टीकाकरण न करवाने पर किसी भी नागरिक की आजीविका को प्रतिबंधित या छीना जाए. पीठ ने उपायुक्तों द्वारा दुकानों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों और यात्री वाहनों को उनके संबंधित जिलों में व्यवसाय फिर से शुरू करने से रोकने के आदेशों का स्वत: संज्ञान लिया है. इसके बजाय उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को नोटिस बोर्ड लगातार टीका लगवाने के निर्देश दिए जा सकते हैं.

कोर्ट ने कहा कि कोई भी दुकान, प्रतिष्ठान, स्थानीय टैक्सी, ऑटो-रिक्शा, मैक्सी कैब और बसें कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन करती हैं तो उन्हें तुरंत बंद करें. कोर्ट ने कहा कि टीका हिचकिचाहट के मुद्दे से राज्य सरकार को इस तरह से निपटने की जरूरत है जो मंगलवार को जारी सात ताजा दिशानिर्देशों के अनुरूप हो.

कोर्ट ने अधिकारियों को आगाह किया कि वह स्थिति की बारीकी से निगरानी करें और इस बात पर जोर दिया कि समस्या का जल्द से जल्द समाधान किया जाना चाहिए. मामले में अब अगली सुनवाई 30 जून को होगी.

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