छत्तीसगढ़

किसानों को वैज्ञानिकों की सलाह: बादल-बदली में फसलों की करें खास देखभाल

रायपुर। कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि विभाग के अधिकारियों ने बादल-बदली के मौसम के चलते रबी फसलों में कीट प्रकोप की संभावनाओं को देखते हुए फसलों की सतत निगरानी करने की सलाह किसानों को दी है। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा आज यहां जारी बुलेटिन में कहा गया है कि फसलों में कीट प्रकोप के प्रारंभिक लक्षण दिखते ही नियंत्रण के लिए समुचित उपाए किए जाने चाहिए। प्रारंभिक अवस्था में कीट प्रकोप नियंत्रित हो जाने से फसल को नुकसान कम होता है।
कृषि बुलेटिन में कहा गया है कि गर्मी की धान फसल कंसे निकलने की अवस्था में आ गई हो तो नत्रजन का छिड़काव करना चाहिए। धान फसल को तना छेदक के प्रकोप से बचाने के लिए प्रारंभिक नियंत्रण उपाय के तौर पर प्रकाश प्रपंच अथवा फिरोमेन ट्रेप का उपयोग किया जाना चाहिए।

बसंत कालीन गन्ने की अंतिम चरण की बुआई तथा ग्रीष्म कालीन मूंग की बुआई करने के लिए अभी उपयुक्त समय है। गर्मी की साग-सब्जियों में सिंचाई ठीक से होनी चाहिए क्योंकि अभी का तापमान साग-सब्जियों में कीट प्रकोप के अनुकूल है। कद्दू वर्गीय सब्जियों में लाल कीड़े का प्रकोप दिखाई देने पर सेविन नामक कीटनाशक दवा 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर पौधों की जड़ों के आस-पास सुबह छिड़काव करना चाहिए। केला और पपीता में सप्ताह में एक बार पानी अवश्य देना चाहिए। आम के फल मटर के दानों के बराबर हो गए हों तो सिंचाई करनी चाहिए, ताकि फलों को झडऩे से बचाया जा सके।

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