वैसे तो बच्चों को पहली शिक्षा उनके घरों से ही मिलती है। लेकिन स्कूल में जो शिक्षा बच्चों को दी जाती है, उसकी बात ही निराली होती है। बच्चों को स्कूल में कई तरह की गतिविधियां सिखाई जाती है।
पढ़ाई-लिखाई के साथ ही बच्चों की रचनात्मकता को सामने लाया जाता है। इन सब के बीच बच्चों के लंच ब्रेक का ख्याल भी स्कूलों को रखा जाता है। लेकिन इन दिनों में मीडिया में एक ऐसे स्कूल की चर्चा जोरों पर है, जहां बच्चों को पानी पिलाने अनोखा ही तरीका अपनाया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि स्कूलों में दिनभर में तीन बार वॉटर बेल बजाई जाती है। पहली घंटी सुबह 10.35 बजे बजती है। दूसरी घंटी दोपहर 12 बजे और तीसरी घंटी दोपहर 2 बजे बजाई जाती है। ये वॉटर ब्रेक 15 से 20 मिनट का होता है।
दरअसल, केरल के कई सरकारी स्कूलों में अब तक बच्चों को पानी पिलाने का अनोखा तरीका लागू किया जा चुका है। अब कर्नाटक सरकार अपने पड़ोसी राज्य के तरीके को अपनाने जा रही है। कर्नाटक के शिक्षा मंत्री सुरेश कुमार ने इस संबंध में प्रशासन को निर्देश भी दे दिए हैं।
केरल के सरकारी स्कूलों में बच्चों को पानी पिलाने के लिए घंटियां बजाई जाती हैं। इसे वॉटर बेल का नाम दिया गया है। इसके अलावा इसे बच्चों के लिए वॉटर ब्रेक भी कहा जाता है। घंटी बजने पर स्कूल में सभी बच्चों को पानी पीना होता है, जितनी भी उन्हें प्यास हो।
वैसे देखा जाए तो ये तरीका काफी अच्छा भी है। पानी की कमी और डिहाइड्रेशन से कई बच्चे बीमार पड़ते हैं। इसलिए स्कूल की इस पहल की सभी सराहना कर रहे हैं। और इससे अन्य राज्य भी सीख ले रहे हैं।
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