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रायपुर: CM भूपेश बघेल का बड़ा फैसला…अब सरकार देगी संस्कृत भाषा सम्मान…महंत वैष्णव दास महाराज के नाम पर दिया जाएगा…माता कौशल्या की जन्मतिथि मनाई जाएगी धूमधाम से…

रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संस्कृत भाषा के विकास के लिए दिए जाने वाला संस्कृत सम्मान अब ब्रह्मलीन राजेश्री महंत वैष्णव दास महाराज के नाम पर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजधानी रायपुर के दूधाधारी मठ में आयोजित 9 दिवसीय दूधाधारी मठ महोत्सव के समापन के अवसर पर यह घोषणा की।

उल्लेखनीय है कि आज दूधाधारी मठ के महंत ब्रह्मलीन राजेश्री वैष्णव दास की पुण्यतिथि भी है। दूधाधारी मंदिर ट्रस्ट द्वारा हर वर्ष उनकी पुण्य स्मृति में 9 दिवसीय संगीतमय रामकथा और भक्त-संत सम्मेलन का आयोजन किया जाता है।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर उपस्थित होकर राम कथा का श्रवण किया और रामचरितमानस की आरती में शामिल हुए। उन्होंने व्यास जी महाराज का स्वागत कर उनसे प्रदेश की सुख समृद्धि के लिए आशीर्वाद ग्रहण किया। इस अवसर पर उद्योग मंत्री कवासी लखमा भी उपस्थित थे।



मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि छत्तीसगढ़ मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम का ननिहाल है। यह माता कौशल्या की भूमि है। इसी वजह से छत्तीसगढ़ में भांजे को प्रणाम किया जाता है, क्योंकि हम उनमें भगवान श्री राम की छवि देखते हैं।

श्री बघेल ने कहा कि दूधाधारी मठ के महंत राजेश्री श्री रामसुंदर दास द्वारा माता कौशल्या की जन्म तिथि के निर्धारण के लिए राष्ट्रीय स्तर का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें माता कौशल्या की जन्मतिथि बताने वाले को 11 लाख रूपए की राशि सम्मान स्वरूप प्रदान की जाएगी।
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उन्होंने कहा कि माता कौशल्या की जन्मतिथि तय होने पर हम सब मिलकर माता कौशल्या का जन्म दिवस धूमधाम से मनाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भगवान राम ने वनवास के समय छत्तीसगढ़ में काफी समय बिताया था।

राम वनगमन मार्ग पर स्थित जिन स्थलों पर भगवान राम गए थे, उनका चिन्हंाकन कर उन्हें धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। भगवान राम का वनगमन मार्ग छत्तीसगढ़ के कोरिया से सुकमा-कोंटा तक विद्वानों ने बताया है। इन मार्ग पर महत्वपूर्ण स्थानों को चिन्हित कर उन्हें दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।



शिवरीनारायण का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि शिवरीनारायण में शबरी ने जूठे बेर भगवान श्रीराम को खिलाए थे। शिवरीनारायण को विशेष रूप से धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा।

इस अवसर पर दूधाधारी मठ के वरिष्ठ ट्रस्टी पंडित रामानुजलाल उपाध्याय, पद्मश्री सम्मान प्राप्त डॉ अरुण कुमार दाबके और भारती बंधु सहित अनेक जनप्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

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