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हर नागरिक को सरकारी गतिविधियों को जानने का मौलिक अधिकार… राज्य सूचना आयुक्त मोहन राव ने कहा प्रशासन को पारदर्शी और जवाबदेही बनाना सूचना का अधिकार का मूल उद्देश्य…

अंबिकापुर। राज्य के सूचना आयुक्त मोहन राव पवार ने आज जिला पंचायत के सभाकक्ष में सूचना का अधिकार विषय पर आयोजित संभाग स्तरीय कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रशासन को पारदर्शी और जवाबदेही बनाना सूचना का अधिकार का मूल उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि हर नागरिक को सरकारी गतिविधियों को जानने का मौलिक अधिकार है।

विभिन्न विषयों की जानकारी मांगने पर केवल एक ही बिन्दु की जानकारी दी जाएगी अथवा विशिष्टता का उल्लेख करने कहें, जिससे जानकारी समय सीमा में दी सके। राज्य सूचना आयुक्त पवार ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम आम जनता की भलाई के लिए बनाया गया है। नागरिकों के द्वारा शासकीय योजनाओं, कार्यक्रमों और कार्यों की जानकारी मांगने पर निर्धारित समय सीमा में आवेदक को जानकारी उपलब्ध कराने का दायित्व हमारा है। शासकीय कार्यों, दस्तावेजों और कार्यक्रमों को विभागीय वेबसाईट में प्रदर्शित करें, ताकि आम नागरिक को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन लगाने की जरूरत ही ना पड़े।



इस अवसर पर राज्य सूचना आयोग के कमिश्नर ई-मिल लकडा, कलेक्टर सरगुजा सारांश मित्तर, कलेक्टर जशपुर शीलेश क्षीरसागर, मुख्य वनसंरक्षक मिंज, उपसचिव आई आर देहारी , संयुक्त संचालक धनंजय राठौर भी उपस्थित थे। राज्य सूचना आयुक्त श्री पवार ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 आम जनता की भलाई के लिए है। उन्होंने कहा कि सरकारी गतिविधियों को पूर्णत: पारदर्शी बनाना है और आवेदक को समय-सीमा के भीतर जानकारी दें अन्यथा निर्धारित समय-सीमा 30 दिन के बाद आवेदक को नि:शुल्क जानकारी देनी होगी।

पवार ने कहा कि जनसूचना अधिकारी इसकी महत्वपूर्ण कडी है, किन्तु जनसूचना अधिकारी द्वारा जानबूझकर आवेदक को जानकारी नहीं देने पर अथवा गलती करने पर जनसूचना अधिकारी को दंडित करना जरूरी हो जाता है। ऐसी स्थिति से जनसूचना अधिकारी को बचना चाहिए।  उन्होंने कहा कि हर नागरिक को सरकारी गतिविधियों को जानने का मौलिक अधिकार है।


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सूचना का अधिकार अधिनियम सरकार के कार्यो को पारदर्शी बनाना है। इसमें पहली कड़ी जनसूचना अधिकारी हैं, ये अधिकारी सूचना का अधिकार अधिनियम के मेरूदण्ड हैं। इसलिए जनसूचना अधिकारी अधिनियम के तहत प्राप्त आवेदनों को स्वयं पढ़े और सकारात्मक सोच से कार्य करें, इससे गलती की संभावना कम होगी। जानकारी देने की समय-सीमा और शुल्क निर्धारित कर जानकारी उपलब्ध कराने आवेदक को पत्र अवश्य दें, जनसूचना अधिकारी इसका विशेष ध्यान रखें।

उन्होंने कहा कि शुल्क के रुप में संलग्न स्टाम्प छत्तीसगढ़ राज्य का है तभी स्वीकार करें अन्य राज्य के होने पर और किस प्रयोजन के लिए खरीदा गया इसको ध्यान से देखकर स्टाम्प सूचना का अधिकार से संबंधित आवेदन के लिए नहीं है, तो अमान्य करते हुए वापस कर दें। राज्य सूचना आयोग के आयुक्त श्री अशोक अग्रवाल ने कार्यशाला में स्पष्ट किया कि जनसूचना अधिकारी समय सीमा में आवेदक को जानकारी उपलब्ध कराने में असमर्थ है तो आवेदक प्रथम अपीलीय अधिकारी के पास अपील कर सकता है और प्रथम अपीलीय अधिकारी निर्णय देने के बाद उसे समय सीमा में कार्यान्वित कराना प्रथम अपीलीय अधिकारी का दायित्व है। अग्रवाल ने यह भी कहा कि यदि आवेदक द्वारा चाही गई जानकारी आपके कार्यालय से संबंधित नहीं है, तो उसे संबंधित कार्यालय को 5 दिवस के भीतर आवेदन पत्र को अंतरित किया जाए। कि शासन और प्रशासन को पारदर्शी बनाने के लिए ही सूचना का अधिकार अधिनियम बनाया गया है।

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