रायपुर। देवउठनी एकादशी दो दिन बाद 8 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन घर-घर में भगवान शालिग्राम एवं तुलसी माता का विवाह कराया जाएगा। इसके साथ ही मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। देवउठनी एकादशी के दिन से शहनाईयों की आवाज गूंजने लगेगी। चार महीने बाद इस दिन भगवान विष्णु जागेंगे, जिसके बाद शादी के मुहूर्त शुरू होंगे।
देवउठनी एकादशी 8 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन घर-घर में भगवान शालिग्राम एवं तुलसी माता का विवाह कराया जाएगा। इसके बाद ही विवाह योग्य युवक-युवतियों के विवाह की शहनाई, बैंड-बाजे बजने लगेंगे। छत्तीसगढ़ में देवउठनी को जेठौवनी के नाम से जाना जाता है।
जेठौवनी को विवाह का अबूझ मुहूर्त माना जाता है इसलिए इन दिनों में गांवों में ज्यादा शादियां होती हैं। आमतौर पर देवउठनी एकादशी के दिन से ही शादी विवाह शुरू हो जाते हैं। पर ज्योतिषों के अनुसार कार्तिक मास की ये एकादशी अबूझ मुहूर्त होती है।
जिसे मांगलिक कार्यों के लिए सबसे शुभ माना जाता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा। इसके लिए लोगों को 10 दिन इंतजार करना होगा। देव उठनी एकादशी के बाद पहला विवाह मुहूर्त 19 नवंबर को पड़ रहा है। इसका कारण वर्तमान में सूर्य तुला राशि में है। तुला राशि में सूर्य के होने से विवाह नहीं होते।
नवंबर माह में 17 तारीख को सूर्य के राशि परिवर्तन के साथ ही 18 नवंबर से विवाह शुरू हो जाएंगे। जो 15 दिसंबर तक रहेंगे। इन दिनों में केवल 14 दिन ही विवाह के मुहूर्त रहेंगे। 13 दिसंबर से 13 जनवरी तक मलमास होने के कारण इन दिनों में विवाह नहीं होंगे।
इसके बाद 2020 मकर संक्रांति के बाद 15 जनवरी से विवाह का दौर शुरू होगा। नवंबर और दिसंबर में विवाह के मुहूर्त: नवंबर में 19, 21, 22, 28, 29 और 30 नवंबर एवं दिसंबर में 1, 5, 6, 7, 10, 11 और 12 दिसंबर।
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