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संस्कृति मंत्री ने हिन्दी साहित्य और गांधीवाद पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का किया शुभारंभ…अमरजीत भगत ने कहा महात्मा गांधी के विचार हमारे जीवन के संस्कार…अहिंसा परमो धर्म का दिया उपदेश…

रायपुर। संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने आज पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह में हिन्दी साहित्य और गांधीवाद पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया।

इस मौके पर उन्होंने छत्तीसगढ़ मित्र पत्रिका के गांधी विशेषांक का विमोचन किया। संगोष्ठी का आयोजन विश्वविद्यालय के साहित्य एवं भाषा अध्ययन शाला द्वारा 22 से 24 अक्टूबर तक किया जा रहा है।

प्रेक्षागृह परिसर में गांधी के छायाचित्रों पर आधारित प्रदर्शनी भी लगाई गई है। संगोष्ठी में महात्मा गांधी के विचारों पर आधारित शोध पत्र एवं लेखों का वाचन किया जाएगा। संगोष्ठी में भारत के विभिन्न स्थानों से आए शिक्षाविदों और विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान दिया जाएगा।



इस मौके पर संस्कृति मंत्री भगत ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गांधी की 150वीं जयंती पर 2 अक्टूबर को विधानसभा में विशेष सत्र का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के विचार हमारे जीवन का संस्कार है। गांधी ने हमें सत्य, अहिंसा की सीख दी है।

गांधी के विचार आज भी हमारे आसपास है। गांधी के विचार पहले भी प्रासंगिक थे, आज भी है और कल भी रहेंगे। उन्होंने कहा कि गांधी समाज सुधारक, लेखक और विचारक थे। गांधी विचारधारा को भारत सहित विश्व के कई देशों ने आत्मसात किया है। गांधी ने अहिंसा परमो धर्म का उपदेश दिया है।

राष्ट्रीय आंदोलन को एक सूत्र में बांधने के लिए एक भाषा का प्रयोग किया और वह भाषा हिन्दी है। वे देश के कोने-कोने में गए और वहां के खान-पान, रीती-रिवाज, वेश-भूषा, धर्म, कुरीतियों आदि का सूक्ष्म रूप से अवलोकन किया।


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संगोष्ठी में पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के कुलपति के.सी. वर्मा ने कहा कि गांधी के विचार सत्य, अहिंसा और सहिष्णुता को बढ़ावा देते है। हिन्दी भाषा ही लोगों को एक-दूसरे से जोड़ सकती है।

हमारे विश्वविद्यालय द्वारा गांधी के विचारों पर आधारित कई कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके है। उन्होंने बताया कि पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय द्वारा गांधी पर आधारित 17 पीएचडी प्रदान की गई है।

आलोचक राजेन्द्र मिश्र ने कहा कि गांधी के जीवन में तुलसीदास जी की रचना का प्रभाव रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय के पी. मोहन ने कहा कि गांधी ने ग्राम सुराज की बात कही थी।

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