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छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू के तीन और केस… एक्टिव मरीजों की संख्या 14 हो गई, रिपोर्टिंग में देरी ने चिंता बढ़ाई, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग नहीं हुई…

छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू का संक्रमण तेजी से पैर पसार रहा है। बुधवार सुबह तक प्रदेश के सात जिलों में 11 मरीजों का पता चला था। शाम होते-होते तीन नए केस सामने आ गए। इनमें से दो मरीज रायपुर जिले के हैं। वहीं एक मरीज दुर्ग जिले का भी आया है। इन्हें मिलाकर कुल एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है।

इस मामले में चिंताजनक पहलू यह है कि संक्रमण की रिपोर्टिंग देरी से हुई है। बुधवार शाम वरिष्ठ अफसरों के साथ मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई बैठक में पता चला कि अस्पतालों से उन्हें बहुत देर से जानकारी मिली। इसकी वजह से अभी तक मरीज के संपर्क में आए लोगों की पहचान कर जांच पूरी नहीं हो पाई है। सरकारी दिशानिर्देशों के मुताबिक मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव मिलने के साथ ही इसकी रिपोर्ट की जानी चाहिए। इसके साथ ही संपर्क में आए लोगों की भी जांच करनी जरूरी है।

महामारी नियंत्रण के संचालक डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया, कल तक मरीजों की कॉन्टैक्ट की भी रिपोर्ट मिलने की संभावना है। उन्होंने बताया कि शाम तक रायपुर में एक मरीज में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई थी। वहीं एम्स में भर्ती दो मरीजों की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है। इसमें से एक मरीज रायपुर का और दूसरा दुर्ग जिले का निवासी है। अब तक तीन मरीजों को इलाज के बाद छुट्‌टी दी जा चुकी है।

SHRI SHANKARACHARYA MAHAVIDYALAYA, BHILAI
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जिलों में इलाज के पर्याप्त इंतजाम का दावा
बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया, उनके यहां स्वाइन फ्लू के इलाज के पर्याप्त इंतजाम मौजूद हैं। अस्पतालों में सारी तैयारी भी कर ली गई है। राज्य सरकार ने उन्हें स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए सभी सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में दवाईयों और उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश पहले ही जारी किए थे। उसके आधार पर उन्होंने तैयारी कर ली है।

जरूरत पड़ने पर लोकल पर्चेज का भी अधिकार
स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया, सरकारी अस्पतालों को सुविधाएं मुहैया करा दी गई हैं। अभी तक पर्याप्त दवाओं का भंडारण भी कर दिया गया है। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर स्थानीय स्तर पर दवाओं की खरीदी का अधिकार भी अस्पताल प्रबंधन को दिया जा चुका है। स्वास्थ्य सेवाओं के संचालक नीरज बंसोड ने सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों के डीन -अस्पताल अधीक्षकों, सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा सिविल सर्जन को स्वाइन फ्लू से बचाव, रोकथाम एवं उपचार के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

इन दवाओं – उपकरणों का भंडारण हुआ है
सरकारी अस्पतालों में स्वाइन फ्लू पीड़ितों के इलाज के लिए दवाओं और उपकरणों का भंडारण किया है। इनमें ऑसेल्टामिविर (Oseltamivir 30 mg & Oseltamivir 45 mg), ऑसेल्टार्निविर (Oseltarnivir 75 mg), ऑसेल्टामिविर सिरप (Oseltamivir syrup 12mg/mL), वीटीएम (VTM), पीपीई किट और एन-95 मास्क शामिल हैं।

क्या है यह स्वाइन फ्लू
डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया, स्वाइन फ्लू भी सामान्य इंफ्लूएंजा यानी सर्दी-जुकाम जैसे लक्षणों वाला ही होता है। अंतर यह है कि सामान्य सर्दी-जुकाम अधिकतम तीन दिनों में ठीक हो जाता है। लेकिन स्वाइन फ्लू में यह कई दिनों तक चलता है। इससे श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचता है। छोटे बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और दिल, किडनी, फेफड़े, रक्तचाप, कैंसर आदि की बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए यह फ्लू घातक हो सकता है।

यह लक्षण दिखें तो नजअंदाज न करें
डॉक्टरों का कहना है, स्वाइन फ्लू एक इंफ्लुएंजा वायरस की वजह से होता है जो सूअरों में पाया जाता है। तीन दिनों से अधिक समय तक 101 डिग्री से अधिक बुखार रह रहा हो, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ हो रही हो, नाक से पानी आ रहा हो या फिर नाक पूरी तरह बंद हो गई हो, थकान, भूख में कमी और उल्टी जैसे लक्षण स्वाइन फ्लू हो सकते हैं। अगर ऐसे लक्षण दिखें तो इसे नजर अंदाज न करें। तुरंत अस्पताल पहुंचकर जांच कराएं।

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