रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन की ओर से हीरा ग्रुप के सहयोग से एवं छत्तीसगढ़ के एकमात्र अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोही और माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले एम् एम् फाउंडेशन के संस्थापक माउंटेन मैन राहुल गुप्ता के मार्गदर्शन में हमारे राज्य के ब्लेड रनर, हाफ ह्यूमन रोबो के नाम से जाने जाते हैं चित्रसेन साहू, ने अपने पैरों पर खड़े हैं मिशन के तहत अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी तंजानिया स्थित किलिमंजारो फतह कर नेशनल रिकॉर्ड कायम किया है।
चित्रसेन साहू को छत्तीसगढ़ शासन एवम् मोर रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा प्लास्टिक फ्ऱी अभियान के लिए ब्रांड एंबेसडर बनाया गया है जिसके तहत श्री साहू द्वारा प्लास्टिक फ्ऱी अभियान का मेसेज किलीमंजारो पर्वत से दिया गया।
चित्रसेन साहू ने तंजानिया अफ्रीका स्थित माउंट किलीमंजारो का फतह दिनांक 23 सितंबर सुबह 11 बजे स्थानीय समयानुसार (भारतीय समय लगभग 2.00 बजे) फतह किया। इस प्रकार श्री साहू यह मुकाम हासिल करने वाले भारत के पहले डबल लेग अंपुटी बन गए हैं। इस पर्वतारोहण अभियान में छत्तीसगढ़ से मांउटेन मेन राहुल गुप्ता साथ-साथ चढ़ाई भी किये और पूरे अभियान का नेतृत्व भी किया।
अब चित्रसेन पूरे देश और राज्य के एकमात्र ऐसे युवा हैं जो डबल एंप्युटी हैं, और माउंट किलिमंजारो की कठिन चढ़ाई पूरी की है। आखिरी दिन श्री साहू ने 12 घंटे की चढ़ाई -5 से -10 डिग्री तापमान में धूल वाले ठंडी तूफान के बीच लगातार मुश्किल भाग की चढ़ाई पूरी की।
इसी दौरान उनके पैर में भी चोटे आई लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उनके द्वारा उहरु चोटी तक पहुंचने का लक्ष्य था लेकिन समय अधिक होने, किलीमंजारो नेशनल पार्क के नियम तथा मौसम और रेस्क्यू को दृष्टिगत रखते हुए व्हा के अधिकारियों द्वारा आगे जाने हेतु मना किया गया।
मौसम एवं स्वास्थ्य को मद्देनजर रखते हुए 19 दोपहर 1 बजे से माउंट किलिमंजारो की चढ़ाई प्रारंभ की गई तथा 23 सुबह 11 बजे फतह किया गया। चित्रसेन साहू ने बताया कि उन्होंने हमेशा से ही अपने लोगों के हक के लिए काम किया है ताकि उन लोगों के साथ भेदभाव ना हो।
शरीर के किसी अंग का ना होना कोई शर्म की बात नहीं है ना ये हमारी सफलता के आड़े आता है बस जरूरत है तो अपने अंदर की झिझक को खत्म कर आगे आने की। हम किसी से कम नहीं ना ही हम अलग हैं तो बर्ताव में फर्क क्यों करना हमें दया की नहीं आप सबके साथ एक समान जि़न्दगी जीने का हक चाहिए।
अपने पैरों पर खड़े हैं मिशन के पीछे हमारा एक मात्र उद्देश्य है सशक्तिकरण और जागरूकता, जो लोग जन्म से या किसी दुर्घटना के बाद अपने किसी शरीर के हिस्से को गवां बैठते हैं उन्हें सामाजिक स्वीकृति दिलाना, उनके नाम के आगे से विकलांग, दिव्यांग शब्द को हटाना ताकि उन्हें समानता प्राप्त हो ना किसी असमानता के शिकार हो तथा बाधारहित वातावरण निर्मित करना और चलन शक्ति को बढ़ाना।
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