करीब तीन हफ्ते से अमेजन नदी घाटी में फैले वर्षा वन जल रहे हैं। अब तक 47 हजार वर्ग किमी जंगल खाक हो चुके हैं। यह आंकड़ा कितना बड़ा है, इसका अंदाजा इससे लगाएं कि भारत के सभी 110 नेशनल पार्क करीब 41 हजार वर्ग किमी क्षेत्र में हैं। करीब 55 लाख वर्ग किमी के अमेजन के जंगल ‘धरती के फेफड़े’ कहे जाते हैं।
यहां से दुनिया की जरूरत की 20 प्रतिशत ऑक्सीजन मिलती है। दूसरी ओर आग के लिए ब्राजील के राष्ट्रपति जैर बोल्सोनारो पर्यावरण संरक्षण के लिए काम रहे एनजीओ पर आरोप लगा रहे हैं, वहीं, पर्यावरणविद राष्ट्रपति की नीतियों को दोषी ठहरा रहे हैं।
ब्राजील की राष्ट्रीय अंतरिक्ष शोध संस्था (आईएनपीई) के अनुसार जनवरी से अब तक इन जंगलों में आग लगने के 74 हजार से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं। जबकि पूरे 2018 में 39 हजार मामले आए थे। आग का कहर पूरे देश पर दिख रहा है। जंगल से करीब 3200 किमी दूर स्थित देश की राजधानी साओ पाउलो में भी दिन के समय सूर्य नहीं दिख रहा।
धुएं की वजह से अंधेरा छाया रहता है। हालत यह है कि दोपहर तीन-चार बजे लोग वाहनों के हैडलैंप और घरों में बल्ब जलाकर काम चला रहे हैं। हालात इतने खराब हैं कि आसमान में करीब 45 लाख वर्ग किमी क्षेत्र में धुआं पसरा है। आग इतनी भयंकर है कि विभिन्न उपग्रहों से जंगलों से धुआं उठता नजर आ रहा है।
इसलिए खास हैं अमेजन के वर्षा वन
विश्व के एक तिहाई मुख्य वन यहां हैं, जो 90 से 140 अरब टन कार्बन हर वर्ष सोख रहे हैं। इससे ग्लोबल वॉर्मिंग रोकने में मदद मिल रही है।
30 हजार प्रजाति के वृक्ष, 2.5 हजार किस्म की मछलियां, 1.5 हजार किस्म के परिंदे, 500 स्तनधारी, 550 सरीसृप और 25 लाख किस्म के कीट हैं।
2200 नए पौधे और जीव बीते 20 वर्षों में यहां खोजे गए।
6900 किमी में बहने वाली अमेजन नदी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी नदी है। दुनिया का 20 प्रतिशत गैर-हिमीकृत पानी इसकी घाटी में है।
410 किस्म की जनजातियां यहां करीब 11 हजार वर्षों से रह रही हैं।
दुनियाभर में चिंता
अमेजन की आग को लेकर पूरी दुनिया में चिंता है। सोशल मीडिया के जरिये लोग आग रोकने के लिए अपील कर रहे हैं। भारत सहित पूरी दुनिया की जानी-मानी हस्तियों और राजनेताओं ने ब्राजील पर हालात सुधारने का दबाव डाला है।
ट्वीटर पर ‘प्रे फॉर अमेजन’ हैशटैग ट्रेंड कर रहा है। वहीं, पर्यावरणविद सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं। जर्मनी जैसे देश ब्राजील को वनों के संरक्षण के लिए दिए जाने वाला फंड रोकने की घोषणा कर चुके हैं।
पैसा न मिलने से मुसीबत खड़ी कर रहे एनजीओ: राष्ट्रपति
ब्राजील के राष्ट्रपति बोल्सोनारो वनों में लगी आग के आंकड़ाें को फर्जी करार दे रहे हैं। वैश्विक स्तर पर हो रही आलोचना के बाद उन्होंने आग के लिए विभिन्न एनजीओ को जिम्मेदार ठहराया है।
बुधवार को फेसबुक पोस्ट में कहा कि कुछ एनजीओ जंगलों में आग लगाने की साजिश रच रहे थे। हालांकि राष्ट्रपति इसका साक्ष्य नहीं दे सके। उनका कहना है कि एनजीओ को पैसा नहीं मिल रहा है, इसलिए ब्राजील के लिए मुसीबतें खड़ी कर रहे हैं।
पर्यावरणविदों ने राष्ट्रपति की नीतियों को ठहराया दोषी
पर्यावरणविदों और जंगलों के संरक्षण के लिए काम कर रहे लोगों ने आग के लिए जंगलों को तेजी से काटने की राष्ट्रपति बोल्सोनारो की नीति को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि खेती और खनन के लिए जंगलों को जलाया जा रहा है। जनवरी 2019 में राष्ट्रपति बने बोल्सोनारो वर्षा वनों की सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं मानते।
वह कृषि, बांध और बिजली उत्पादन को बढ़ावा देने पर काम कर रहे हैं। राष्ट्रपति बोल्सोनारो ‘विश्व वन्यजीव फंड’ को ब्राजील पर विदेशी एजेंडा थोपने के लिए नोटिस जारी कर चुके हैं। वहीं, पर्यावरण संरक्षण के पेरिस समझौते से हटाने की चेतावनी भी दे चुके हैं।
जुलाई में कटे से सबसे अधिक वन
विभिन्न संगठनों की रिपोर्ट के अनुसार जुलाई 2019 में अमेजन घाटी से 1,345 वर्ग किमी वन काट दिए गए। यह विश्व की सर्वाधिक आबादी वाले शहरी क्षेत्र टोकियो के क्षेत्रफल से करीब दोगुना है। अब तक के इतिहास में अमेजन घाटी से इतने वर्षा वन कभी एक साथ नहीं काटे गए।
A reminder that the amazon forest has been on fire for 3 weeks now and because of the lack of media coverage people don’t know about it. this is one of most important ecosystems on earth
#ActForTheAmazon#AmazonRainforest #AmazonForest #AmazonFires pic.twitter.com/UGuzo5rz3n— 🎀𝑀𝓊𝓃𝒶🎀 (@MunaNawabit1) August 23, 2019
the world’s ‘lungs’ is dying. it’s been on fire for three weeks. where 20% of the earth’s water is found. and where 2.5 million species of insects live. we must do better.
we must save our lungs. we must save the earth.#AmazonForest— eros (@rustedangel1) August 21, 2019
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