देश में अभी तक लड़कियों की न्यूनतम आयु 18 साल तय की गई है। इसे बढ़ाकर न्यूनतम आयु 21 वर्ष करने की मांग अब उठने लगी है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने लड़कियों की शादी के लिए न्यूनतम उम्र सीमा 21 साल करने की मांग की है।
याचिका में उन्होंने भारत सरकार को भी पार्टी बनाया है। कहा है कि लडक़ों की तुलना में लड़कियों की कम उम्रसीमा रखना संविधान से मिले समानता, स्वतंत्रता और गरिमामयी जीवन के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
उपाध्याय ने याचिका में कहा है कि अभी लडक़ों की शादी के लिए न्यूनतम उम्र 21 साल है, जबकि लड़कियों के लिए 18 साल। आखिर इसका आधार क्या है? उपाध्याय ने याचिका में दलील दी है कि बिना किसी वैज्ञानिक अध्ययन आदि के ही लड़कियों की उम्रसीमा कम तय कर दी गई।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि भारत में लडक़ों के मुकाबले लड़कियों की कम उम्र में शादी की तय की गई उम्रसीमा ग्लोबल ट्रेंड्स के भी खिलाफ है। इतना ही नहीं, इससे संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन होता है।
महिलाओं के लिए यह समानता एवं गरिमा के अधिकार के भी खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न सुधारों से जुड़ीं 50 से अधिक याचिकाएं दाखिल कर पीआईएल मैन कहलाने वाले अश्निनी उपाध्याय ने कहा है कि दुनिया के 125 से अधिक देशों में महिलाओं और पुरुषों की शादी के लिए समान उम्र है।
भारत में भी इसकी मांग उठती रही है। याचिका में कहा गया है कि लडक़ों को 21 साल की उम्र मिलने से उन्हें शैक्षिक और आर्थिक रूप से मजबूत मिलने का मौका मिलता है, ऐसे में लड़कियों को ऐसे मौके क्यों नहीं मिलने चाहिए।
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