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कारगिल विजय दिवस आज…20 साल पहले भारत ने सरहद पर छुड़ाए थे पाकिस्तान के छक्के…18 हजार फीट की ऊंचाई…527 जवान हुए थे शहीद…तब फहरा था तिरंगा…

नई दिल्ली। आज हिंदुस्तान के लिए गर्व का दिन है, आज से ठीक 20 साल पहले सरहद पर भारत ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ाते हुए घुसपैठियों को करगिल की पहाडिय़ों से वापस खदेड़ दिया था। हिंदुस्तान के जवानों ने पाकिस्तान पर फतह हासिल की थी। ऐसे में द्रास, करगिल की फिजाओं में एक बार फिर देशभक्ति का संगीत गूंज रहा है।

शुक्रवार को एक बार फिर शहीदों के लिए मेला लग रहा है, शहीदों के सम्मान में दूर-दूर से लोग द्रास के शहीद स्मारक में पहुंचे हैं। जहां करगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है। वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के बड़े नेताओं ने करगिल दिवस के मौके पर शहीदों को याद किया।



20 साल पहले आज ही के दिन 26 जुलाई 1999 को भारत ने कारगिल युद्ध में विजय हासिल की थी। इस जंग में देश ने 527 से ज्यादा वीर योद्धाओं को खोया था, वहीं 1300 से ज्यादा घायल हुए थे। पाकिस्तान ने इस युद्ध की शुरुआत 3 मई 1999 को ही कर दी थी।

20 साल पहले आज ही के दिन 26 जुलाई 1999 को भारत ने कारगिल युद्ध में विजय हासिल की थी। इस दिन को हर वर्ष विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। करीब दो महीने तक चला कारगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस और जांबाजी का ऐसा उदाहरण है जिस पर हर देशवासी को गर्व है। करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल में लड़ी गई इस जंग में देश ने 527 से ज्यादा वीर योद्धाओं को खोया था, वहीं 1300 से ज्यादा घायल हुए थे।
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वैसे तो पाकिस्तान ने इस युद्ध की शुरुआत 3 मई 1999 को ही कर दी थी जब उसने कारगिल की ऊंची पहाडिय़ों पर 5,000 सैनिकों के साथ घुसपैठ कर कब्जा जमा लिया था। इस बात की जानकारी जब भारत सरकार को मिली तो सेना ने पाक सैनिकों को खदेडऩे के लिए ऑपरेशन विजय चलाया।

भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ मिग-27 और मिग-29 का भी इस्तेमाल किया। इसके बाद जहां भी पाकिस्तान ने कब्जा किया था वहां बम गिराए गए। इसके अलावा मिग-29 की सहायता से पाकिस्तान के कई ठिकानों पर आर-77 मिसाइलों से हमला किया गया।



इस युद्ध में बड़ी संख्या में रॉकेट और बम का इस्तेमाल किया गया। इस दौरान करीब दो लाख पचास हजार गोले दागे गए। वहीं 5,000 बम फायर करने के लिए 300 से ज्यादा मोर्टार, तोपों और रॉकेट लांचर का इस्तेमाल किया गया।

लड़ाई के 17 दिनों में हर रोज प्रति मिनट में एक राउंड फायर किया गया। बताया जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यही एक ऐसा युद्ध था जिसमें दुश्मन देश की सेना पर इतनी बड़ी संख्या में बमबारी की गई थी।

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