रायपुर। छत्तीसगढ़ के तीन दिनों के दौरे पर आए 15 वें केन्द्रीय वित्त आयोग के सदस्यों ने आज यहां त्रिस्तरीय पंचायतीराज संस्थाओं और नगरीय निकायों के निर्वाचित प्रतिनिधियों तथा राजनीतिक दलों से चर्चा की। उन्होंने स्थानीय निकायों के सशक्तिकरण और उनके माध्यम से जनहित के कार्यों के प्रभावी क्रियान्वयन के बारे में प्रतिनिधियों से सुझाव मांगे।
आयोग ने गृह विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर प्रदेश में नक्सल उन्मूलन के लिए किए जा रहे कार्यों के बारे में भी जानकारी ली। गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस संबंध में अपने सुझाव भी आयोग के सामने रखा।
आयोग के सदस्यों ने जनप्रतिनिधियों से चर्चा के दौरान कहा कि स्वशासन की स्थानीय संस्थाओं का सशक्तिकरण और उन्हें ज्यादा साधन-संपन्न बनाना आयोग का उद्देश्य है।
आयोग की लगातार कोशिश रही है कि पंचायतीराज संस्थाएं और नगरीय निकाय लोगों की बेहतरी के लिए ज्यादा से ज्यादा काम कर सके तथा आयोग द्वारा दी गई राशि जनहितकारी कार्यों में बेहतर ढंग से खर्च की जा सके। उन्होंने कहा कि ‘स्वराजÓ हासिल करने के लिए स्थानीय निकायों की सक्रिय सहभागिता और संसाधनपूर्ण होना जरूरी है।
आयोग ने पंचायतीराज संस्थाओं व नगरीय निकायों द्वारा किए जाने वाले व्यय की नियमित ऑडिटिंग और राजस्व प्राप्ति के बारे में भी जानकारी ली। 15वें वित्त आयोग के साथ चर्चा में त्रिस्तरीय पंचायतीराज संस्थाओं ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत और जिला पंचायत के प्रतिनिधियों ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू की गई नरवा, गरूआ, घुरवा, बारी योजना को ग्राम विकास की बेहतर योजना बताते हुए इसे पूरे देश में लागू किए जाने का सुझाव दिया। इन्होंने इसके लिए वित्तीय संसाधन मुहैया कराने की भी बात कही।
नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधियों ने बैठक में अधोसंरचनागत निर्माण के रखरखाव के लिए वित्त आयोग द्वारा दी जाने वाली राशि को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने का सुझाव दिया। उन्होंने शहरी गरीबों के लिए आवासीय योजनाओं और वहां बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए वित्तीय मदद की भी जरूरत बताई।
नदियों और तालाबों को प्रदूषण से बचाने तथा जल संरक्षण के कार्यों को भी प्राथमिकता से करने के लिए भी उन्होंने राशि की जरूरत बताई। वनांचलों के नगरीय निकायों के प्रतिनिधियों ने वहां कर-संग्रहण न हो पाने के कारण निकायों की कमजोर आर्थिक स्थिति की ओर भी आयोग का ध्यान आकर्षित किया।
राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने वित्त आयोग से चर्चा के दौरान जीएसटी लागू होने के बाद राज्य को क्षतिपूर्ति के रूप में केन्द्र सरकार से मिलने वाली राशि को 2022 के बाद भी जारी रखने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़कों की स्थिति अच्छी नहीं है। सिंचाई सुविधाओं का विस्तार और एक-फसली क्षेत्र को दो-फसली में परिवर्तित करना प्रदेश की बड़ी जरूरत है।
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