
देश में जीएसटी को लागू हुए पूरे दो साल बीत चुके हैं। पर अभी-अभी इसकी पूरी प्रक्रिया को समझाना हर किसी के बस की बात नहीं रह गई।
हालांकि सरकारी मशीनरी इसे आसान बनाने तरह-तरह के हथकंडे अपनाती रहती है, इसके बाद भी जीएसटी को आसान बनना फिलहाल कठिन ही है। वहीं जीएसटी को लेकर अक्सर ग्राहक और दुकानदार में तू-तू-मैं-मैं की नौबत आ ही जाती है।
लेकिन जीएसटी से जुड़ा एक बेहद दिलचस्प मामला सामने आया है, जहां दुकानदार ने दही पर ही जीएसटी ठोक दिया। अब ग्राहक जागरूक था और अपने अधिकारों के लिए लडऩा जानता था। लिहाजा वो उपभोक्ता फोरम जा पहुंचा, लेकिन ऐसे कितनों ही ग्राहक हैं जो बिना जानें ही जीएसटी देते आते हैं।
खैर, चलिए हम आप बताते हैं उस दुकानदार के बारे में जिसने दही पर ही जीएसटी लगा दिया था। ये दुकानदार है, तमिलनाडु के तिरुनेलवेली के।
दरअसल, धारापुरम के रहने वाले सी. महाराजा ने छह फरवरी को अन्नपूर्णा होटल से 40 रुपये की दही खरीदी थी, लेकिन होटल मालिक ने उनसे दही पर एक रुपये जीएसटी, एक रुपये एसजीएसटी और दो रुपये पैकेजिंग चार्ज सहित कुल 44 रुपये लिए थे।
सी. महाराजा ने होटल मालिक से कहा भी था कि दही पर जीएसटी नहीं है, लेकिन उन्हें जवाब मिला कि कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में जीएसटी लगाया गया है।
सी. महाराजा ने बाद में इस बाबत कमर्शियल टैक्स विभाग में एसजीएसटी के असिस्टेंट कमिश्नर से भी बात की थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद महाराजा ने उपभोक्ता फोरम का रूख किया और होटल मालिक के खिलाफ केस दायर किया।
इस मामले में मंगलवार को हुई सुनवाई में ना तो होटल मालिक और ना ही संबंधित अफसर पेश हुए, जिसके बाद फोरम ने अपना फैसला सुना दिया। फोरम ने होटल मालिक को अतिरिक्त लिए गए चार रुपये वापस करने के साथ ही मानसिक पीड़ा के लिए दस हजार रुपये और मुकदमे पर हुए खर्च के तौर पर पांच हजार रुपये देने सहित कुल 15004 रुपये देने के आदेश दिए हैं।
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