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प्रदेश में रेडियो के माध्यम से प्रसारित हो कार्यक्रम ‘हमर हाथी-हमर गोठ…मानव-हाथी द्वंद्व रोकने…हुई 2 दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला में मिले कई सुझाव…सीमावर्ती राज्यों के मध्य सूचनाओं का हो त्वरित आदान-प्रदान…हाथियों के नियंत्रण के लिए विशेष टीम का हो गठन

रायपुर। प्रोजेक्ट एलिफेंट मॉनिटरिंग कमेटी द्वारा आयोजित दो दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला में विशेषज्ञों और विभिन्न राज्यों के वन अधिकारियों के मध्य गहन मंथन किया गया और मानव-हाथी द्वंद्व को रोकने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए।

सभी हाथी प्रभावित राज्यों में समन्वय बनाने के लिए सूचनाओं के त्वरित आदान-प्रदान की सहमति बनी। सीमावर्ती राज्यों जैसे छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडि़शा तथा अन्य राज्यों के बीच एक व्हाट्सअप ग्रुप बनाया जाए। इससे हाथी के एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवेश करने पर तुरंत सूचना मिल जाएगी और संबधित राज्य को एलर्ट कर दिया जाएगा।

इसके साथ ही सीधे सीमावर्ती राज्य के अधिकारी भी एक दूसरे के सतत संपर्क में रहें। इसके लिए भारत सरकार द्वारा एक स्टैडिंग आपरेटिंग प्रोसीजर भी जारी किया जाएगा। सभी प्रभावित क्षेत्रों में हेन्डलिंग टीम बनाई जाए, जिसके पास एक सुव्यवस्थित वाहन और अन्य उपकरण उपलब्ध रहेंगे। इस टीम के सदस्यों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाए और राज्य में प्रशिक्षण की सुविधा नहीं होने पर उन्हें वन्यजीव संस्थान देहरादून तथा आवश्यकता होने पर अन्य निजी संस्थानों में और विदेशों में जैसे दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका में प्रशिक्षण भी दिया जाए।



कार्यशाला में यह भी सुझाव दिया गया कि प्रत्येक राज्य के पास हाथियों को नियंत्रित किए जाने अभियान मे इस्तेमाल होने वाली दवाईयां हमेशा उपलब्ध हो। इसकी खरीदी वर्ष के शुरूआत में कर ली जाए ताकि नारकोटिक्स एक्ट के तहत उसे प्रयोग पूर्व अनुमति समय पर ले ली जाए। इसे खरीदने के लिए फंड निर्मित किया जाए जिसमें सभी राज्य अपना-अपना योगदान दे।

चर्चा पश्चात दिए गए सुझाव के अनुसार हाथी प्रभावित राज्यों मे प्रशिक्षित महावत नियुक्त किए जाए जो हाथियों को नियंत्रित कर सके। यह महावत दूसरे राज्यों में जाकर प्रशिक्षण प्राप्त करें और अपने राज्य में आकर स्थानीय भाषा में हाथियों को नियंत्रित करने में सहयोग प्रदान करें।

वहीं कार्यशाला में आए विश्व प्रसिद्ध वन्य जीव विशेषज्ञ श्री एजेडी जानसिंग ने कहा कि हाथियों को बचाने के लिए और हाथी-मानव द्वंद्व को रोकने के लिए हमें सबसे पहले हाथियों की बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के उपाय करना चाहिए। जनहानि को रोकने के लिए जंगल के भीतर ही चारा-पानी और अनुकूल रहवास का इंतजाम करना चाहिए।


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कर्नाटक के वन्य जीव विशेषज्ञ अजय देसाई ने सुझाव दिया कि विज्ञान का भी अध्ययन करना चाहिए। विभागीय अमले सहित आम जनता को हाथियों के व्यवहार विज्ञान की जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह समस्या सिर्फ वन विभाग की नहीं है।

इसके समाधान के लिए अन्य विभागों का सहयोग लेना चाहिए। कार्यशाला में छत्तीसगढ़ में हुई पहल की सराहना की गई। अपर वन महानिदेशक भारत सरकार एम.एम. नेगी ने कहा कि उनकी टीम को हाथी प्रभावित क्षेत्र सरगुजा में निरीक्षण का अवसर मिला। हाथी को नियंत्रित करने के तरीके जैसे फेंसिंग, स्थानीय समुदाय को साथ में जोड़ कर सूचनाओं का आदान प्रदान करना सार्थक कदम है।

कार्यशाला में प्रदेश में रेडियो के माध्यम से प्रसारित किये जाने वाले कार्यक्रम ‘हमर हाथी-हमर गोठÓ जैसे कार्यक्रम को अन्य राज्यों में भी अपनाए जाने की सलाह दी गई।

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