मंगलवार सदन में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नये फार्मूले की बात कही है। यह नया फार्मूला नागरिक अधिकारों से भी ऊपर नागरिक कर्तव्यों को रखने का है। जानिये कर्तव्यों के बारे में क्या कहता है हमारा संविधान और प्रधानमंत्री क्यों चाहते हैं ऐसा।
मंगलवार को लोकसभा में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नये फार्मूले की बात कही है। यह नया फार्मूला नागरिक अधिकारों से भी ऊपर नागरिक कर्तव्यों को रखने का है। जानिये कर्तव्यों के बारे में क्या कहता है हमारा संविधान और प्रधानमंत्री क्यों चाहते हैं ऐसा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे देश की ज्यादातर बातें अधिकारों पर केंद्रित रही हैं। ये एक ऐसा अवसर है कि देश का पैराडाइम शिफ्ट करके अधिकार से कर्तव्यों पर ले चलें। जन प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी यहां और बढ़ जाती है।
उन्होंने अपनी बात को पुख्ता करने के लिए महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और राम मनोहर लोहिया को भी कोट किया। आइए जानें वो नागरिक कर्तव्य जो संविधान बनने के कई साल बाद जोड़े गए।
ये हैं भारत के नागरिकों के मौलिक कर्तव्य
सरदार स्वर्ण सिंह समिति की अनुशंसा पर संविधान के 42वें संशोधन (1976 ई) द्वारा मौलिक कर्तव्य संविधान में जोड़े गए। ये सभी मौलिक अधिकार रूस के संविधान से लिए गए थे। इसे भाग 4(क) में अनुच्छेद 51(क) के तहत रखा गया। ये संख्या में 11 हैं।
1। संविधान को मानना और राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर है पहला कर्तव्य
प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र गान का आदर करें।
2। स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करनेवाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करे।
3। भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे।
4। देश की रक्षा करे।
5। भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे।
6। हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझें और उसका निर्माण करे।
7। प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और उसका संवर्धन करे।
8। वैज्ञानिक दृष्टिकोण और ज्ञानार्जन की भावना का विकास करे।
9। सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे।
10। व्यक्तिगत एवं सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें।
11। ये कर्त्तव्य (86वां संशोधन) बाद में जोड़ा गया, जिसमें माता-पिता या संरक्षक द्वारा 6 से 14 वर्ष के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना उनके कर्तव्य से जोड़ा गया।
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ये छोटे-छोटे नियम मानकर कर सकते हैं कर्तव्य का पालन
सड़क पर चलने से लेकर किसी कॉलोनी में रहने तक के लिए नागरिकों के लिए सामाजिक नियम बनाए गए हैं। ये नियम भी संविधान से सीधे संबंधित हैं। मसलन सड़क पर चलते समय आप बाएं चलें या लाल बत्ती न पार करें।
सार्वजनिक स्थानों को गंदा न करें या उन्हें नुकसान न पहुंचाएं। अगर हम कर्तव्यों की राह पर चलें तो प्रकृति की सुरक्षा और संरक्षण भी संविधान में निहित है। लेकिन लोग संवैधानिक कानूनों के आधार पर बने सामाजिक नियमों को मानने को तैयार नहीं हैं।
नेहरू का वो Quote जो मोदी ने सदन में रखा सामने
14 जुलाई 1951 को चुनाव से पहले अपने मेनिफेस्टो में जवाहर लाल नेहरू द्वारा रखा गया कोट संसद सदन में प्रधानमंत्री मोदी ने दोहराया।
ये है नेहरू का Quote
दुनिया को भारत की एक बड़ी सीख ये है कि यहां सबसे पहले कर्तव्य आते हैं और इन्हीं कर्तव्यों से अधिकार निकलते हैं। आज के आधुनिक भौतिकवादी विश्व में जहां हर तरफ टकराव दिखाई पड़ते हैं, वहां हर कोई अपने अधिकारों और सुविधा की बात करता है।
शायद ही कोई कर्तव्य की बात करता हो। यही टकराव की वजह है। अधिकारों की सुविधा के लिए लड़ाई लड़ते हैं। सच यह है कि यदि कर्तव्यों को भूल जाएं तो अधिकारों की लड़ाई नहीं लड़ पाएंगे।
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