रायपुर। मानसून की लेटलतीफी ने प्रदेश के कृषकों को चिंता में डाल दिया है। अब तक बारिश नहीं होने से किसान खेते-किसानी शुरू नहीं कर पाए हैं। बुआई तो दूर किसान खेतों की अकरस जुताई भी नहीं कर पाए हैं।
जिससे निश्चित तौर पर इस वर्ष फसल उत्पादन भी प्रभावित होगा। इसे लेकर एक ओर जहां कृषकों में चिंता है तो वहीं शासन-प्रशासन के माथे पर भी अब बल पडऩे लगा है।
राज्य में अब तक मानसूनी बारिश शुरू हो जानी चाहिए थी, लेकिन इस वर्ष प्री-मानसून की एक-दो बौछारों के अलावा अब तक बाारिश का नामो-निशान तक नहीं है। दिन में पड़ रही जोरदार गर्मी को देखते हुए जून का माह अपै्रल-मई की तरह प्रतीत हो रहा है।
दूसरी ओर दक्षिण-पश्चिम मानसून की लेटलतीफी ने प्रदेश भर के कृषक वर्ग को चिंता में डाल दिया है। खेती-किसानी की तैयारी कर रहे किसानों को इस समय खेत सुधारने के लिए जोरदार बारिश की दरकरार है, लेकिन बारिश का फिलहाल अता-पता नहीं है।
जानकारों की माने तो अब तक प्री-मानसून की तेज बौछारें शुरू हो जानी थी, जिससे सूखे खेतों की मिट्टी अच्छी तरह से भीग सके। लेकिन अभी भी खेतों में तेज धूप के चलते दरारें पड़ी हुई हैं, इससे खेती की तैयारी में जहां समय लगना तय है तो वहीं देरी से शुरू होने वाले खेती से फसल उत्पादन पर भी निश्चित रूप से प्रभाव पड़ेगा।
इधर मानसून के आगमन में हो रही देरी को देखते हुए जहां कृषक वर्ग चिंतित है तो वहीं अब कम बारिश की आशंका से शासन-प्रशासन के माथे पर भी बल पड़ गया है। दूसरी ओर मौसम विभाग ने 24-25 जून के बाद ही मानसून के दस्तक देने के आसार जताया है।
इस लिहाज से मानसून इस वर्ष करीब 15 दिन पिछड़ गया है। निश्चित रूप से इसका असर जहां फसल उत्पादन पर पड़ेगा तो वहीं महंगाई की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
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