बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में चमकी बुखार से 10 दिन में 47 बच्चों की मौत हो गई है। अंग्रेजी वेबसाइट डेली मेल और द गार्जियन में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार बच्चों की मौत एक ऐसे जहरीले पदार्थ की वजह से हुई है जो लीची में पाया जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक मरने वाले सभी बच्चों में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम के लगभग एक समान लक्षण पाए गए हैं।
मुजफ्फरपुर के जिन दो अस्पतालों से बच्चों की मौत की खबरें आई हैं, वो इलाके लीची के बागों के लिए काफी जाने जाते हैं. यहां बड़े पैमाने पर लीची का उत्पादन होता और इसके बाद इसे देश-विदेश में पहुंचाया जाता है. इसलिए इस विषय की जांच करना अब बहुत जरूरी हो गया है कि क्या सच में लीची में पाए जाने वाले जहरीले तत्व के कारण ही बच्चों की मौत हो रही है।
जिले के वरिष्ठ स्वास्थ अधिकारी अशोक कुमार सिंह ने अंग्रेजी वेबसाइट के हवाले से बताया कि मृत बच्चों में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम के समान लक्षण पाए गए हैं. बच्चों के खून में भी शुगर की मात्रा काफी कम थी. अधिकारी ने बताया कि जिस जहरीले पदार्थ के कारण बच्चों की मौत हुई है वो लीची में पाया जाता है।
वहीं, श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के चीफ मेडिकल ऑफिसर एसपीसी सिंह ने डेली मेल और द गार्जियन के हवाले से कहा कि 40 बच्चों में इंसेफलाइटिस के लगभग एक जैसे लक्षण पाए गए हैं।
क्या कहते हैं शोधकर्ता-
बिहार के लोकल इलाकों में इस बीमारी को चमकी बुखार कहा जाता है. साल 2014 में भी इस बुखार के करीब 150 मामले सामने आए थे। दिमाग में होने वाले इस घातक बुखार पर साल 2015 में अमेरिकी शोधकर्ताओं ने भी खोज की थी.
शोध में पता लगा कि इस जहरीले पदार्थ का संबंध किसी फल से हो सकता है. पिछले दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार अधपकी लीची को भी इंसान के लिए खतरनाक बताया गया था. लीची में पाए जाने वाला एक विशेष प्रकार का तत्व इस बुखार का कारण हो सकता है।
क्यों है लिची खतरनाक-
खाली पेट और कच्ची लीची खाने से इंसेफलाइटिस का खतरा काफी बढ़ जाता है। यदि आप खाली पेट लीची खाकर सो जाएं तो भी यह खतरनाक साबित हो सकती है। लीची से निकलने वाला जहरीला पदार्थ शरीर में शुगर की औसत मात्रा को कम कर देता है. इसके अलावा कुपोषित बच्चों को भी लीची नहीं खानी चाहिए।
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