छत्तीसगढ़

संध्या ने किया कोरिया जिले का नाम रौशन, मेरिट में मिला सातवां स्थान, जिला प्रशासन की ठोस रणनीति आई काम

चंद्रकांत पारगीर, बैकुंठपुर। कोरिया जिले में वर्ष 2014 के बाद वर्ष 2018 में एक छात्रा ने 12वीं की मेरिट सूची में अपनी जगह बनाकर जिले का नाम रौशन किया है। बीते 3-4 वर्षो से जिले का परीक्षा परिणाम बेहद खराब होने के बाद जिला प्रशासन ने इसके लिए रणनीति बनाई और बीते वर्ष के मुकाबले इस वर्ष चौकाने वाले परिणाम सामने आए हैं। कोरिया जिले का हाई स्कूल का परिणाम 61.02 प्रतिशत तो हायर सेकेण्ड्री स्कूल को 69 प्रतिशत रहा जो कि पिछले वर्ष के मुकाबले बेहद अच्छा परिणाम माना जा रहा है।
इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी राकेश पांडे का कहना है कि कलेक्टर द्वारा इस वर्ष मिशन बैटर एज्यूकेशन का ब्यू प्रिंट तैयार कर, स्मार्ट कलासेस, पीठासीन डायरी, छात्रों के लिए जागरूकता पेटी जैसे कार्यक्रमों का संचालन और नियमित मॉनिटरींग के कारण इस बार अच्छी सफलता लगी है। आगे और भी इसमें कामयाबी मिलने की संभावना है।
जानकारी के अनुसार कोरिया जिले की सरस्वती स्कूल में 12वीं की छात्रा संध्या सिंह पिता अनिल सिंह, माता देवंती सिंह ने राज्य की मैरिट सूची मे 7वां स्थान प्राप्त किया है। वहीं कोरिया जिले का 10वी हाई स्कूल का परिणाम पिछले वर्ष 49 प्रतिशत था वो बढकर 61.02 प्रतिशत आ गया, जबकि 12वीं हायर सेकेन्ड्री का परिणाम पिछले वर्ष 61 प्रतिशत था वो बढकर 69 प्रतिशत रहा, पिछले वर्ष 10वी में 789 छात्र प्रथम श्रेणी में थे, जबकि इस वर्ष 1907 छात्रों ने प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए है, इसी तरह पिछले वर्ष 12वी में 861 छात्र प्रथम श्रेणी में आए थे इस वर्ष यह आंकडा बढकर 1095 रहा है। इसके अलावा कई स्कूलों में उत्तीर्ण होने का परिणाम 100 प्रतिशत रहा है।


क्या थी रणनीति
इस वर्ष शिक्षा विभाग ने कई सालों से आ रहे बुरे परिणामों को सफलता में बदल दिया है। इसके लिए जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग ने पूरे एक वर्ष से बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाए, जिसका परिणाम अच्छा देखने को मिल रहा है। सबसे पहले परीक्षा परिणाम में सुधार के लिए प्रत्येक हाई स्कूल, हायर सेकेण्डरी स्कूलों को मिशन बैटर एज्यूकेशन के तहत प्रश्नों की पुस्तिका दी गई है। जिसमें ब्ल्यू प्रिंट के आधार पर बच्चों को बोर्ड मग्जाम के प्रश्नों के संग्रह से अवगत कराया गया। जिससे उनके गुणात्मक विकास में सहायता मिली। जिले में मॉनिटरीग और सुपरविजन के चुस्त एंव दुरूस्त करने हेतु जिले के 81 संकुल सवन्वयक, 05 विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी, 05 सहायक विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी एंव 05 विकासखण्ड स्त्रोत समन्वयकों को मॉनिटरिंग प्रपत्र तैयार कर उनसे पाक्षिक जानकारी ली जाती रही। जिले के समस्त प्राथमिक, माध्यमिक, हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूलों में कार्य की सुदृृढ़ता एवं समय पर कार्य हो इस हेतु सर्व प्राचार्य हायर सेकेण्डरी को पीठासीन डायरी का संधारण कराया गया। इसमें वर्ष भर में प्रत्येक दिवस के क्रियाकलापों के विवरण इंद्राज कर सत्रांत 31 मार्च को सीलबंद लिफाफे में जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जमा कराया गया। विभागीय अधिकारी की टीम गठित कर उनके वार्षिक कार्यलेखा के आधार पर प्रत्येक स्कूल का सारांश तैयार किया गया है। इसके अलावा जिले में 137 हाई स्कूल, हायर सेकेण्डरी संचालित है इन स्कूलों के प्राचार्यो को 05 से 07 कि.मी. की परिधि के समस्त प्राथमिक, माध्यमिक, शासकीय, अशासकीय शालाओं का संकूल नोडल प्राधिकारी नियुक्त किया गयां। संबंधित नोडल प्राचार्य प्रत्येक सप्ताह अपने नोडल क्षेत्र के 2-2 प्राथमिक एंव माध्यमिक शालाओं की माइक्रोमॉनीटरिंग करते है जिसमें उनके द्वारा शालेय अधोसंरचना, शिक्षण अधिगम, शिक्षक कार्यव्यवहार, मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता, शाला प्रबंधन समिति के सदस्यों से संपर्क, शालेय परिसर एवं अधिगम वातावरण के उत्थान पर चर्चा आदि बिन्दुओं पर सूक्ष्मता से अवलोकन कर दिशा-निर्देश दिया जाता रहा। इससे प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं की गुणवत्ता में आमूल-चूल परिर्वतन हुआ है।

पिछले वर्ष 640 प्राथमिक एवं माध्यमिक फोकस शालाओं के रूप में संसूचित की गई थी जो अब घटकर 303 ही बची है। जिन्हे इसी कार्य प्रणाली के आधार पर पूर्ण सजगता एवं पृष्ठ पोषण प्रक्रिया से साथ शालेय गुणवत्ता स्तर के परिवर्तन हेतु यह विधा उपयोग में लाई जा रही है। वहीं सभी प्राथमिक, माध्यमिक, हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूलों में जागरूकता पेटी स्कूल के प्रवेश द्वार पर ही स्पष्ट दृष्टया स्थान पर रखी गई है, जिसमें स्कूलों में अध्ययनरत विद्यार्थियों द्वारा अपनी शाला, अपने गॉव एवं आसपास के वातावरण में परिलक्षित होने वाली कमियों को लिखकर पत्र के माध्यम से डालते है। जिसे प्रत्येक शनिवार बाल मड़ई के समयावधि में सबके समक्ष खोलकर जागरूकता पेटी से निकलने वाली विभिन्न समस्याओं को शाला में संधारित जागरूकता पंजी में प्रभारी शिक्षक के द्वारा न अंकित किया जाता है बल्कि जागरूकता पेटी से निकले हुए सम-सायमिक प्रश्न, जैसे-स्वच्छता को लेकर, पेयजल समस्या को लेकर, शिक्षकों के विलंब से आने को लेकर, गॉव में फैली गंदगी, शौचालय विहीन घर आदि समस्याएं जो स्कूली छात्र/छात्राओं की दृष्टि में आती है ऐसे प्रश्न जागरूकता पेटी से प्रत्येक शनिवार को सबके समक्ष रख संस्था प्रमुख अपने पंजीकृत डाक द्वारा ग्राम के प्रधान को प्रेषित करते है और वह छात्र जिसका प्रश्न प्रभावशाली होता है उसे रोज आफ द विक की उपाधि दी जाती रही।

 

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