नई दिल्ली। पूर्व कलेक्टर और वर्तमान में भाजपा नेता ओपी चौधरी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दंतेवाड़ा में जमीन की हेराफेरी के मामले की जांच को जारी रखने कहा है। साथ ही अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है। ओपी चौधरी और तहसीलदार पर जमीन की हेराफेरी करने और उसकी प्रकृति बदलने का आरोप है। मामले में पीडि़तों ने याचिका दायर की थी। जिसपर बिलासपुर हाईकोर्ट ने 2016 में जांच के आदेश दिए थे। इस आदेश के खिलाफ कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट चले गए। कोर्ट ने मामले में स्थगन आदेश दे दिया। अब अदालत ने साफ कहा है कि हमें जांच प्रक्रिया को रोकने को लेकर स्थगन आदेश नहीं दिया था। मामले में कलेक्टर व तहसीलदार के खिलाफ लंबी जांच को आगे बढ़ाया जा सकता है।
जिला पंचायत दंतेवाड़ा के पास बैजनाथ नामक व्यक्ति की 3.7 एकड़ कृषि भूमि थी। बैजनाथ से इस जमीन को 4 लोगों ने खरीदा। बाद में स्थानीय प्रशासन में विकास भवन बनाने के नाम पर इस जमीन को लेकर दंतेवाड़ा में बस स्टैंड के पास करोड़ों की व्यावसायिक भूमि और कुछ कृषि भूमि के साथ इसकी अदला-बदली कर ली। इस समय चौधरी दंतेवाड़ा कलेक्टर थे। बताया जा रहा है कि वर्ष 2011 में ओपी चौधरी दंतेवाड़ा जिले के कलेक्टर बन कर आए थे। बैजनाथ से जमीन खरीदने वाले 4 लोग ने कलेक्टर चौधरी के सामने जमीन की अदला-बदली का प्रस्ताव रखा। मार्च 2013 में जमीन का निरीक्षण तहसीलदार पटवारी आरएडीएम ने मिलकर सिर्फ 15 दिनों के भीतर यह चारों की निजी जमीन के बदले में सरकारी भूमि देने की प्रक्रिया पूरी कर डाली। जमीन को 1000000 में खरीदा था उससे यह लोग 2500000 रुपए में बेच दिया। उसके बदले में दंतेवाड़ा की बस स्टैंड के पास व्यवस्था ई भूमि के साथ दो अन्य स्थानों पर जमीन पर मालिकाना हक पाने में सफल रहे।
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