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लॉकडाउन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लिए कई अहम फैसले…दो लाख से अधिक श्रमिकों को मिली राहत…प्रदेश से बाहर फंसे 90 हजार मजदूरों की समस्याओं का किया गया त्वरित समाधान…

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर लॉकडाउन में प्रदेश एवं प्रदेश से बाहर फंसे हुए दो लाख से अधिक जरूरतमंद श्रमिकों को तत्काल राहत पहुंचाई गई है।

छत्तीसगढ़ के 90 हजार 418 प्रवासी श्रमिक जो देश के 21 राज्यों और 4 केन्द्र शासित प्रदेशों में होने की सूचना मिली उनके द्वारा बताई गई समस्याओं का त्वरित निदान करते हुए उनके लिए भोजन, राशन, नगद, नियोजकों से वेतन तथा रहने आदि की व्यवस्था जुटायी गई है। इसके साथ ही श्रम विभाग के अधिकारियों का दल गठित कर विभिन्न औद्योगिक संस्थाओं, नियोजकों एवं प्रबंधकों से समन्वय कर (राशन एवं नगद) आदि की व्यवस्था भी की जा रही है। लॉकडाउन के द्वितीय चरण में 21 अप्रैल से शासन द्वारा छूट प्रदत्त गतिविधियों एवं औद्योगिक क्षेत्रों में लगभग 13 हजार 907 श्रमिकों को पुन: कार्य उपलब्ध कराया गया है।

श्रम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि लॉकडाउन के कारण छत्तीसगढ़ के श्रमिक जो देश के अन्य राज्यों में फंसे हुए हैं, इनमें जम्मू में 20 हजार 944, महाराष्ट्र में 17 हजार 286, उत्तरप्रदेश में 12 हजार 367, तेलांगना में 11 हजार 983, गुजरात में 7 हजार 731, कर्नाटक में 3 हजार 57, तमिलनाडु में 2 हजार 724, मध्यप्रदेश में 2 हजार 431, आंध्रप्रदेश में 2 हजार 274, हिमाचलप्रदेश में एक हजार 669 तथा दिल्ली में एक हजार 791 श्रमिक है।

अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ के श्रमिक जो अन्य राज्यों में फंसे हुए हैं, उनमें बलौदाबाजार जिले के 20 हजार 444 श्रमिक, जांजगीर-चांपा के 21 हजार 101, मुंगेली के 7 हजार 389, बिलासपुर के 7 हजार 366, कबीरधाम के 6 हजार 803, कोण्डागांव के 6 हजार 182, राजनांदगांव के 5 हजार 365, बेमेतरा के 4 हजार 904, रायगढ़ के 2 हजार 254, बीजापुर के 2 हजार, रायपुर एक हजार 557, दुर्ग के एक हजार 187, गरियाबंद के 632, महासमुंद के 626 और बलरामपुर के 488 श्रमिक शामिल है।

श्रम विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ से बाहर रह रहे 7 हजार 831 श्रमिकों की आर्थिक दिक्कतों की सूचना प्राप्त होने पर तत्कालिक व्यवस्था स्वरूप उनके खातों में 24 लाख 41 हजार रूपए नगद राशि जमा कराए गए हैं। श्रम विभाग के सचिव एवं नोडल अधिकारी श्री सोनमणि बोरा के मार्गदर्शन में राज्य एवं राज्य के बाहर फंसे जरूरत मंद श्रमिकों को श्रम विभाग के अधिकारियों एवं जिला प्रशासन द्वारा अन्य राज्यों के प्रशासनिक अधिकारियों, नियोक्ताओं, प्रबंधकों एवं संबंधित श्रमिकों से समन्वय कर भोजन, रहने-खाने, चिकित्सा सहित अन्य आवश्यकताओं और समस्याओं का निराकरण किया जा रहा है।

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