भिलाई। कुम्हारी से लगे जंजगिरी उच्चतर माध्यमिक शाला में 11वीं की पढ़ाई कर रहा नीलमणी देवांगन अब जापान जाएगा। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने नीलमणी को इंस्पायर अवॉर्ड में सर्वश्रेष्ठ मॉडल के लिए चुना है। नीलमणी 19 अप्रैल को दिल्ली से जापान के लिए रवाना होगा। 17 अप्रैल को रायपुर से दिल्ली के लिए उड़ेगा। 26 अप्रेल को वापसी है।
नीलमणी ने ऐसा मॉडल तैयार किया है, जिससे रेलवे क्रासिंग पर लगने वाले जाम को खत्म करने में बड़ी मदद मिलेगी। जंजगिरी में उनके पिता का चाय-नाश्ते का ठेला है, जिसमें यह छात्र सुबह व शाम स्कूल से लौटकर उनका हाथ बंटाता है।
इस होनहार ने अब तक सुविधाओं का स्वाद नहीं चखा, लेकिन अपनी शानदार सोच और नवाचार करने के इरादे के साथ अब ये छात्र जापान का सफर तय करेगा। जापान के नरेएटा शहर में अपनी नई सोच दिखाकर विज्ञान जगत को नई सुविधा से जोडऩे में मदद करेगा।
प्रौद्योगिकी विभाग हर साल ऑनलाइन तरीके से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के नवाचार व सोच के लिए शासकीय स्कूलों के बच्चों को प्रोत्साहित करता है। इस साल प्रदेश से 3 विद्यार्थियों का चयन जापान के लिए हुआ है, जिसमें नीलमणी देवांगन एक है। उनके साथ गरियाबंद के छात्र केशव साहू व कोरबा की रिनी राजपूत भी जापान जाएंगी। देशभर से 650 नवाचार आइडिया को परखने के बाद प्रौद्योगिकी विभाग ने श्रेष्ठ 42 को यह मौका दिया है।
क्या है मॉडल जिसने दिला दी सफलता
नीलमणी ने रेलवे क्रॉसिंग के लिए ऑटोमेटिक डिवाइडर का शानदार सिस्टम तैयार किया है। अक्सर रेलवे फाटक बंद होने पर लोग गाडिय़ों के पीछे कतार में खड़े होने के बचने के लिए विपरित दिशा में गाडिय़ां खड़ी करनी शुरू करते हैं। डिवाइडर सिस्टम से यह तकलीफ खत्म हो जाएगी।
रेलवे क्रॉसिंग पर जब ट्रेन आने वाली होगी उस वक्त तो सबकुछ पहले जैसे ही होगा, लेकिन ट्रेन के गुजरने के बाद फाटक के दोनों रास्तों के बीच डिवाइडर ऑटोमेटिक लग जाएगा। इससे लोग विपरित दिशा के फाटक से गाडिय़ां नहीं निकाल पाएंगे।
नीलमणी का दिल्ली से जापान जाने का खर्च विज्ञान एवं प्रौद्योगिक विभाग द्वारा वहन किया जाएगा। रायपुर से दिल्ली तक आने-जाने के खर्च के बारे में कोई जानकारी अभी तक नहीं दी गई है। वर्तमान में दिल्ली तक का पूरा खर्च जंजगिरी शाला प्राचार्य नीता भट्ट वहन कर रही हैं। नीलमणी को छोडऩे वे स्वयं दिल्ली जा रही हैं। पासपोर्ट और वीजा की कार्रवाई एक हफ्ते में पूरी करने में प्राचार्य के नेतृत्य में शाला परिवार के व्याख्याता एमके राजपूत और तारकनाथ राजपूत का विशेष सहयोग रहा है।
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