जगदलपुर। दक्षिण सब जोन ब्यूरो भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ने दो पेज का पर्चा जारी कर लोगों से लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने की अपील की है। पर्चे में कहा गया है कि नई आर्थिक नीति का मतलब है उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के नाम पर, विकास के नामपर, वृद्वि दर बढ़ाने के नाम पर, भारतीय अर्थव्यवस्था का पुर्नव्यवस्थिकृत करना है।
इसकी वजह से देश का बाजार विदेशी व्यापार पर निर्भर है। आधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ आने वाली पूंजी की वजह से रोजगारविहीन विकास एक बड़ी समस्या बन गई है। बेरोजगारी बड़े पैमाने पर बढ़ रही है।
केंद्र में सत्ता में जो भी पार्टी हो एक दूसरे से स्पर्धा लेते हुए भू-मंडलीकरण के सुधारों को आक्रामकता से अमल कर रही है। विभिन्न राज्यों में सत्तासीन क्षेत्रीय पार्टियां भी विदेशी पूंजी को आकर्षित करने के लिए इस होड़ में शामिल होकर साम्राज्यवादियों के लिए रियायत दे रही है।
मोदी सरकार ने मेक इन इंडिया के नाम से हर वर्ष दो करोड़ नौकरी देने का वादा किया, बेरोजगारी खत्म होने की बात कही, ऐसा कुछ नहीं हुआ। बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में रिक्त पदों पर भी उन्होंने भर्ती नहीं की। विदेशों में पड़े कालाधन को बाहर निकालकर हर आदमी के खाते में 15 लाख रूपये जमा करने का वादा करने वाली मोदी सरकार का इस बारे में बात करना छोड़ देना एक बड़ा साजिश है।
विकिलिक्स, पनामा पेपर्स में उजागर हुए कुबेरों पर उन्होंने किसी तरह का कदम नहीं उठाया। बल्कि कालाधन पर अकुंश लगाने के नाम पर नोटबंदी कर चोरी चुपके देश के कुबेरों कॉपोर्रेट घरानों के पास मौजूद कालाधन को सफेद धन के रूप में बदलकर उन्हें फायदा पहुंचाया गया और आम आदमी की रीढ़ तोड़ दी है।
बैंकों से लिए करोड़ों रूपये का कर्ज कॉपोर्रेट कंपनियों के लिए माफ कर दिया और कर्ज से दबकर बड़े पैमाने पर आत्महत्या करने वाले किसानों को राहत के रूप में एक पैसा भी कर्जमाफ नहीं किया। नक्सलियों ने पर्चे में झुठे चुनाव का बहिष्कार कर मौजूदा लुटेरी व्यवस्था को उखाड़कर उसकी जगह सच्ची जनवाद और स्वालंबन के बुनियाद पर किसानों, सर्वहारा वर्ग, मजदूर किसानों के लिए काम करने वालों को आगे बढ़ाने की बात कही है।
यह भी देखें :
VIDEO: डॉ. पुनीत गुप्ता के जीबीजी अस्पताल में पुलिस की दबिश…खंगाले जा रहे हैं दस्तावेज…
Add Comment