
रायपुर। छत्तीसगढ़ में पीडब्ल्यूडी में फर्जी एफडीआर का बड़ा मामला सामने आया है। ये मामला संभाग एक और विधानसभा सब-डिवीजन का है, जहां थोक में डुप्लीकेट एफडीआर मिले हैं।
इन दो दफ्तरों में डुप्लीकेट एफडीआर के मिलते ही पूरे राज्य में हड़कंप मचा हुआ है। वहीं बताया जा रहा है कि अब पूरे संभागों में जांच के निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं। खबरों तो यहां तक है कि विभाग इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी कर रहा है।
जानकारी के मुताबिक रायपुर के विधानसभा सहित अन्य तीन सर्किल में एक ठेकेदार ने कलर प्रिंटर से फर्जी एफडीआर बनाकर लोक निर्माण विभाग में जमा कर वर्क ऑर्डर हासिल किया है। उस ठेकेदार ने चार-पांच अलग-अलग फर्म बनाकर ठेका हासिल किया है।
इसके लिए उसने डुप्लीकेट एफडीआर जमा कराया था। विभागीय अधिकारियों ने एफडीआर की पड़ताल की तो उन्हें उसके नकली होने का शक हुआ उसके बाद अधिकारी एफडीआर की सत्यता परखने बैंक पहुंचे। एफडीआर टाटीबंध इलाके के बैंक से बनाया गया था।
जानकारों की माने तो ठेकेदार ने ओरिजिनल एफडीआर बनवाया और फोटो कलर प्रिंटर से स्कैन कर कॉपी निकालने के बाद एफडीआर में बैंक अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर और सील लगाने के बाद जमा कर दिया। वर्क आर्डर जारी होने के बाद उसने ओरिजिनल एफडीआर से पैसा निकाल लिया।
वहीं नियम के मुताबिक ठेका हासिल करने वाले को वर्क आर्डर हासिल करने के पहले खेती को कुल राशि का 2 प्रतिशत या जितने भी लो रेट में ठेकेदार ने ठेका हासिल किया है उस बिलो रेट का अधिकतम 20 प्रतिशत राशि का एफडीआर विभाग के पास जमा कराना पड़ता है। काम समाप्त होने के बाद विभाग ठेकेदार को उसका एसडीआर लौटा देता है।
वहीं मामले में ईई रायपुर डिवीजन एस.एन. श्रीवास्तव का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है। जांच के बाद ठेकेदार के दोषी साथी होने पर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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