मेकाज के आधा दर्जन डॉक्टर नौकरी छोडऩे की तैयारी में

जगदलपुर। बस्तर में स्वास्थ्य सुविधाओं का मील का पत्थर साबित होने वाला मेडिकल कॉलेज सह महारानी अस्पताल जहां आज अपने आपको लाचार पा रहा है, वहीं इसकी बीमारी बढ़ती ही जा रही है। जिसके कारण यहां पर काम करने वाले चिकित्सक प्रोत्साहन के अभाव में काम छोड़कर जा ही रहे हैं और इस वर्ष भी एक बड़ी संख्या में डाक्टर काम छोडऩे की तैयारी में हैं।
जानकारी के अनुसार स्थापना के बाद से मेकॉज को अलविदा कहने वाले डॉक्टरों की संख्या कम नहीं हो रही है। हर साल अलग-अलग डिपार्टमेंट में काम करने वाले डॉक्टर किसी-किसी कारण से मेकॉज छोड़ देते हैं। ईएनटीए मेडिसिन समेत विभिन्न विभागों में 25 से अधिक डॉक्टरों की कमी है। इस साल भी करीब आधा दर्जन डॉक्टर अगले एक-दो महीने में मेकॉज को अलविदा कह देंगे। इनमें से कुछ सीनियर डॉक्टर भी हैं, जो प्रदेश में ही दूसरे सरकारी मेडिकल कॉलेज में बतौर संविदा प्राध्यापक के तौर पर अपनी सेवाएं देने की तैयारी में हैं।
यह पहला मौका नहीं है जब डॉक्टरों ने मेकॉज छोड़ा हो। इससे पहले भी सीनियर रेजीडेंट, डिमांस्ट्रेटर, जूनियर रेजीडेंट जैसे पदों पर काम करने वाले 50 से ज्यादा डॉक्टर मेकॉज छोड़ चुके हैं। इस संबंध में मेकॉज के डीन यूएस पैकरा ऐसे किसी भी डॉक्टर के मेकॉज छोडऩे की बात से इंकार कर कहते हैं कि कुछ डॉक्टर पढ़ाई के सिलसिले में नौकरी छोड़ पहले गए हैं। उन्होंने कहा कि एक्सटेंशन नहीं बढ़ाने जैसी वाली कोई बात ही नहीं है।
इस प्रकार से मेकॉज में डॉक्टरों की कमी हमेशा बनी रहती है और मरीजों को इस अस्पताल से राहत नहीं दर्द ही मिलता है। इस संबंध में यह एक विशेष तथ्य है कि डॉक्टरों की कमी और फैकल्टी के नहीं होने से मेकॉज से हर साल औसत 300 मरीज या तो दीगर हास्पिटल के लिए रेफर कर दिए जाते हैं या मरीज अच्छे इलाज के लिए खुद ही बाहर चले जाते हैं। इस प्रकार से यह अस्पताल और मेडिकल कालेज रिफर करने वाले केन्द्र के रूप में आजकल ज्यादा चर्चा में रहने लगा है।