रायपुर। डीकेएस सुपर-स्पेश्यलिटी अस्पताल ए वं रिसर्च सेंटर के प्लास्टिक सर्जरी विभाग द्वारा एक ऐसी महिला की सर्जरी कर, नई जिंदगी दी गई हैं। जो कि चेहरे की विकृति की वजह से हर वक्त अपना चेहरा ढंककर चलती थी।
महिला पहले फंगल साइनोसाइटिस नाम की बीमारी से पीडि़त थी जिसका ऑपरेशन उन्होंने करवाया था जिसके बाद से महिला का चेहरा खराब हो गया और उसी चेहरे की विकृति की वजह से रश्मि किसी को अपना चेहरा नहीं दिखाती थी।
भिलाई की रहने वाली 23 साल की श्रीमती रश्मि देवांगन जिस हालत में अस्पताल आई थी वो बिल्कुल दुर्लभ मामला था। क्योंकि महिला जब अस्पताल आई तब उसके ओरो नेसो क्यूटेनस फिस्टूला बन चुका था।
महिला को फंगल साइनोसाइटिस बीमारी थी जिसका ऑपरेशन हुआ उसकी हड्डियां सड़ चुकी थी जिसे निकाल दिया गया, दाईं आंख खराब हो गई थी उसे भी निकालना पड़ा, इतना ही नहीं महिला की पलक आढ़ी-तिरछी हो गई थी, तालू में छेद हो जाने की वजह से महिला की आवाज खराब हो गई थी उसके शब्द ठीक तरह से नहीं निकल रहे थे, आंख के पास नाक के बाहरी हिस्से में छेद हो गया था जिसकी वजह से महिला जो कुछ भी खाती थी वो आंख के पास छेद से बाहर निकल जाता था।
इन सब तकलीफों की वजह से रश्मि को लोगों के सामने जाने में असहज महसूस होता था। लेकिन डीकेएस चिकित्सकों इस बीमारी को चुनाती के रूप में लेते हुए तीन स्तरों पर सर्जरी की। डॉक्टर्स को महिला की एक नहीं बल्कि तीन सर्जरी करनी पड़ी, पहली फ्लेप सर्जरी में तालू का आपरेशन किया गया जिसमें तालू में जो छेद था उसमें मांस के टुकड़े को लगाया गया इस सर्जरी के बाद महिला की आवाज काफी साफ हो गई और वो ठीक से बात कर पाने में सक्षम हुई।
पहली सर्जरी से संतुष्ट होने के बाद महिला दूसरी सर्जरी के लिए राजी हुई और स्वयं डॉक्टर्स के पास आकर उसने दिखाया. दूसरी सर्जरी में माथे के पास से चमड़ी के टुकड़े को निकालकर आंख के नीचे के छेद को बंद किया गया। तीसरी सर्जरी में पलक की विकृति ठीक कर महिला को नकली आंख लगाई गई जिससे की देख पाने में सक्षम तो नहीं है लेकिन अब वो लोगों के सामने आने में खुद को असहज महसूस नहीं करती है।
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