
छत्तीसगढ़ी राज भाषा दिवस पर राजभाषा आयोग ने महंत घासीदास संग्राहालय सभागार में साहित्यकारों-भाषाविदों के सम्मान समारोह किया। आयोजन को सम्बोधित करते हुए संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि जब दो व्यक्तियों में परस्पर अभिव्यक्ति होती है तो अंदर से भाषायी उद्गार होता है। अर्थात् अंदर की भाव की अभिव्यक्ति की भाषा होती है। मुख्यमंत्री नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति, परम्परा, बोली भाखा, तीज-त्यौहार, रहन-सहन, खान-पान, वेश-भूषा जैसे अनेक विविधताओं से भरे पारंम्परिक, संस्कृति एवं लोककला को सहेजने और संवारने का काम कर रहे है। भगत ने कहा कि कोई भी भाषा एक दिन में नहीं सीखी जा सकती। यह नियमित चलने वाली प्रक्रिया है। बच्चा सर्वप्रथम अपने मां के बोले जाने वाली बोली अथवा भाषा को सीखते हैं। अर्थात माता ही बच्चों के प्रथम पाठशाला होती है। उन्होंने कहा कि हम सबको मिलकर छत्तीसगढ़ी भाषा को और आगे ले जाने की जरूरत है।उन्होंने साथ ही कहा कि गत माह राज्य सरकार ने राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया गया। इस राष्ट्रीय महोत्सव में प्रदेश के 27 राज्य, 6 केन्द्र शासित प्रदेश सहित 7 विभिन्न देशों के कलाकार और प्रतिनिधि नृत्य महोत्सव में शामिल हुए। महोत्सव में चारों ओर ‘‘छत्तीसगढ़ीया, सबले बढ़िया’’ के नारे गूंज रहे थे। मुख्यमंत्री की दूरदृष्टि सोच और राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के आयोजन से छत्तीसगढ़ की नृत्य, कला और संस्कृति सहित छत्तीसगढ़ी बोली भाखा को आदिवासी नृत्य के माध्यम से देश और दुनिया में एक नई पहचान मिली है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ भगवान श्रीराम माता कौशल्या की जन्म भूमि है। यह कण-कण में राम है, छत्तीसगढ़ में लोग भांजे को राम के रूप में पूजते हैं, ऐसे गौरवशाली धरती के गौरवशाली छत्तीसगढ़ी भाषा को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता।
संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने जिन साहित्यकारों-भाषाविदों को सम्मानित किया। उनमें वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. बिहारी लाल साहू, व्याख्याता हर प्रसाद निडर, प्राध्यापक डॉ. अनुसुईया अग्रवाल, प्रोफेसर चंदैनी गोंदा, उद्घोषक डॉ. सुरेश देशमुख, वरिष्ठ साहित्यकार पुनूराम साहू, वरिष्ठ साहित्यकार अरूण निगम, सहायक प्राध्यापक डॉ. कुसुम माधुरी टोप्पो, वरिष्ठ साहित्यकार गिरवरदास मानिकपुरी, वरिष्ठ साहित्यकार रमेश विश्वहार, पूर्व सहायक पशु चिकित्सा परिक्षेत्राधिकारी बंधु राजेश्वर खरे, वरिष्ठ छत्तीसगढ़ी उद्घोषक अधिकारी श्याम वर्मा, वरिष्ठ पत्रकार गुलाल वर्मा, सम्पादक डॉ. दीनदयाल साहू सम्पादकीय सलाहकार संदीप अखिल , सम्पादक नवीन देवांगन , वरिष्ठ साहित्यकार लता राठौर ,बैक अधिकारी डॉ. सुधीर पाठक , गोंडी भाषा की साहित्यकार जयमति कश्यप, वरिष्ठ छत्तीसगढ़ी उद्घोषिका तृप्ति सोनी शामिल थे।