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परीक्षा पे चर्चा: बच्चों से बोले PM मोदी…एग्जाम को क्लास की परीक्षा समझें, जिंदगी की नहीं… इसे अवसर मानें तो मजा आएगा…

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई दिल्ली में विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ परीक्षा पे चर्चा कर रहे हैं। स्कूलों में इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया जा रहा है। पीएम ने कहा कि मेरे लिए ये कार्यक्रम किसी को उपदेश देने के लिए नहीं है।

मैं यहां आपके बीच खुद को अपने जैसा, आपके जैसा और आपके स्थिति जैसा जीना चाहता हूं, जैसा आप जीते हैं। पीएम ने एक कविता को याद करते हुए कहा कि कुछ खिलौने के टूटने से बचपन नहीं मरता।

उन्होंने कहा कि कसौटी बुरी नहीं होती, हम उसके साथ किस प्रकार के साथ डील करते हैं उस पर निर्भर करता है। मेरा तो सिद्धांत है कि कसौटी कसती है, कसौटी कोसने के लिए नहीं होती है। एग्जाम को अगर हम अवसर मानें तो इसमें मजा आएगा।



जब मन में अपनेपन का भाव पैदा हो जाता है तो फिर शरीर में ऊर्जा अपने आप आती है और थकान कभी घर का दरवाजा नहीं देखती है। मेरे लिए भी देश के सवा सौ करोड़ देशवासी मेरा परिवार है। जो सफल लोग होते हैं, उन पर समय का दबाव नहीं होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्होंने अपने समय की कीमत समझी होती है।

जब मन में अपनेपन का भाव पैदा हो जाता है तो फिर शरीर में ऊर्जा अपने आप आती है और थकान कभी घर का दरवाजा नहीं देखती है। मेरे लिए भी देश के सवा सौ करोड़ देशवासी मेरा परिवार है। सफल लोगों को समय का दबाव नहीं होता।

निशान चूक जाए तो माफ हो सकता है लेकिन निशान नीचा हो तो कोई माफी नहीं, लक्ष्य ऐसा होना चाहिए जो पहुंच में हो लेकिन पकड़ में न हो। मैं सवा सौ करोड़ देशवासियों की चिंता करता हूं। अपनों के लिए सोचना जरूरी है।



लक्ष्य ऐसा होना चाहिए जो पहुंच में तो हो, पर पकड़ में न हो। जब हमारा लक्ष्य पकड़ में आएगा तो उसी से हमें नए लक्ष्य की प्रेरणा मिलेगी। लक्ष्य हमारे सामर्थ्य के साथ जुड़ा होना चाहिए और अपने सपनों की ओर ले जाने वाला होना चाहिए। हर बच्चे की सकारात्मक चीजों को समझना आवश्यक है।

बच्चों की गलतियों को प्यार से सुधारें। हम बच्चों को तकनीक से हटा नहीं सकते हैं। उन्हें इसका सही फायदा बताना चाहिए। दबाव न ले इससे डर पैदा होता है। खुले मैदान में खेलना ये जीवन का हिस्सा होना चाहिए और बच्चों को तकनीक की सही दिशा में ले जाना चाहिए।

ऑनलाइन गेम समस्या भी है और समाधान भी। प्रौद्योगिकी को मन के विस्तार और नवाचार के साधन के रूप में आगे बढ़ाना चाहिए। तकनीक का आज बहुत बड़ा योगदान है। बच्चों को तकनीक का सही इस्तेमाल बताना चाहिए।



तकनीक का उपयोग हमारे विस्तार के लिए, हमारे सामर्थ्य में बढ़ोतरी के लिए होना चाहिए। हंसना, खेलना जीवन के लिए बहुत जरूरी है। एकाध परीक्षा में कुछ हो जाए तो जिंदगी ठहर नहीं जाती है। बच्चों को हमेशा डांटना रहना ठीक नहीं है।

अपेक्षाओं के बोझ में हमें दबना नहीं चाहिए। अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए अपने आपको सज करना चाहिए। लोग कहते हैं मोदी ने बहुत आकांक्षा जगा दिए हैं, मैं तो चाहता हूं कि सवा सौ करोड़ देशवासियों के सवा सौ करोड़ महत्वकांक्षा होनी चाहिए। हमें उन आकांक्षाओं को उजागर करना चाहिए देश तभी चलता है। अपेक्षाओं के बोझ में दबना नहीं चाहिए। हमें अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए अपने आपको सिद्ध करना चाहिए।

परीक्षा से बाहर भी बहुत बड़ी दुनिया है। इसे कक्षा की परीक्षा ही समझें जिंदगी की न समझें। अभी नहीं तो कभी नहीं ऐसा मत सोचिए। सोशल स्टेटस के लिए मां बाप बच्चे पर दबाव डालते हैं। रिपोर्ट कार्ड परिवार का विजिटिंग कार्ड नहीं बनना चाहिए।



निराशा में डूबा समाज, परिवार या व्यक्ति किसी का भला नहीं कर सकता है, आशा और अपेक्षा उर्ध्व गति के लिए अनिवार्य होती है। अपेक्षा आवशयक होती है। अपेक्षा के कारण ही हमे कुछ ज्यादा करने की इच्छा होती है।

पीएम ने कहा, जिंदगी का मतलब ठहराव नहीं है, जिंदगी का मतलब ही होता है गति। अगर हम अपने आपको कसौटी के तराजू पर झौकेंगे नहीं तो जिंदगी में ठहराव आ जाएगा। जिंदगी का मतलब ही होता है गति, जिंदगी का मतलब ही होता है सपने।

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