छत्तीसगढ़

सरकार के नाम से जमीन लेकर प्राइवेट को देने की तैयारी: सोरी

रायपुर। सरकार द्वार आदिवासियों की जमीन का सरकारी उपयोग में अधिग्रहण करने के मामले का शुक्रवार को आदिवासियों ने घोर विरोध किया। कांग्रेस भवन में पत्रवार्ता में अनुसूचित जनजाति विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शिशुपाल सोरी ने कहा कि 5वीं अनुसूची और पेशा कानून से संबंधित क्षेत्र में सरकार जमीन अधिग्रहण नहीं कर सकती। इस पर कानून बनाने का अधिकार विधानसभा को नहीं है ट्रायबल एडवाइजरी काउंसिल को कानून बनाने का अधिकार है। राज्यपाल चाहे तो कोई कानून बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस संसोधन विधेयक को राज्यपाल ने अनुमति नहीं दी है। राज्यपाल को अधिकार है कि इस कानून को रोक सके। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार व्यक्ति नहीं है। फिर कोई व्यक्ति कैसे आदिवासी की जमीन ले सकता है, जबकि सरकार आदिवासी ही नहीं है। उन्होंने कहा कि शासकीय उपक्रम के नाम पर जमीन खरीदकर प्राइवेट सेक्टर को देने की योजना है। विकास के लिए अनिवार्य भू अर्जन की जो व्यवस्था की गई है वह आदिवासियों के हित में नहीं है। शोरी ने कहा कि 2013 के अधिनियम को तोडऩे का प्रयास सरकार ने कई बार किया है। आदिवासियों की जमीन लेकर कैसे बड़े उद्योगों को दिया जाए इसे सोचकर सरकार कानून ला रही है। आदिवासी क्षेत्र में स्कूल, कॉलेज, अस्पताल के लिए जमीन नहीं मिलने की बात कह रहे हैं। एक प्रकरण नहीं आया जब आदिवासियों ने विकास कार्य के लिए जमीन देने से मना किया हो।
छत्तीसगढ़ में आज भी 65 फीसदी अधिसूचित भूभाग है। सरकार को आदिवासियों की चिंता नहीं है। रायगढ़ सरगुजा जशपुर में क्रय नीति के तहत जमीन ली गई है। उन्होंने कहा कि मंत्री ने कहा कि दस गुना दाम दिए जाएंगे। जब अधिकार ही नहीं है तो जमीन कैसे लेंगे। संवैधानिक प्रावधान बनाने के पहले उनकी राय ली जानी चाहिए थी। आदिवासी समाज के साथ अन्याय हो रहा है
पत्रवार्ता के दौरान विधायक मोहन मरकाम ने कहा कि विधानसभा में भी इस मामले को लेकर हमने वोटिंग की मांगा की थी। इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने के लिए हमने कहा था। आदिवासी मंत्रणा समिति के पास भेजने की भी बात की गई थी। पेशा कानून, 5वीं अनुसूची, भूमि अधिग्रहण कानून 2013 का उल्लंघन करके यह कानून लाया गया है। हमने नगरनार, लोहंडीगुड़ा के लिए अपनी जमीन दी है। देश में सबसे अच्छी पुनर्वास देने की बात कहते हुए 2012 में नौकरी देने की बात कही गई थी, लेकिन अभी तक रोजगार नहीं मिला है।

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