मुंबई में एक होटल में काम करने के दौरान दो युवकों में इस कदर प्यार हुआ कि शादी करने के उद्देश्य से उनमें से एक ने लिंग परिवर्तन करा लिया। लेकिन यह प्यार तब टूट गया जब युवक ने लिंग परिवर्तन करा युवती बने साथी से बलात्कार कर दिया।
‘युवती’ ने पुलिस की शरण ली लेकिन पुलिस ने उसे युवक मानकर कुकर्म के आरोप में मुकदमा दर्ज किया। युवती ने हाईकोर्ट की शरण ली। अब हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ ने सरकार से पूछा है कि युवक जब महिला बन ही चुका है तो उसे महिला क्यों नहीं माना जा रहा है?
मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक, दरअसल, पौड़ी गढ़वाल के एक युवक रमेश (परिवर्तित नाम) को मुंबई के एक पांच सितारा होटल में काम करने के दौरान कोटद्वार निवासी सुरेश (परिवर्तित नाम) से प्रेम हो गया था। रमेश ने इस बीच लिंग परिवर्तन कराया और रेखा नाम (परिवर्तित नाम) से महिला बन गया।
रेखा का आरोप है कि सुरेश ने उसे शादी के बहाने कोटद्वार बुलाया और उसके साथ रेप किया। इस पर उसने कोटद्वार थाने में सुरेश के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 के तहत मामला दर्ज कराने को तहरीर दी लेकिन कोटद्वार पुलिस ने 376 का मुकदमा दर्ज न करके धारा 377 (अप्राकृतिक यौन शोषण) में मुकदमा दर्ज किया।
साफ है कि पुलिस ने उसे महिला मानने से इनकार किया है। याची का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश नालसा बनाम केंद्र सरकार में ट्रांसजेंडर को मान्यता दी गई है। ऐसे में उसे भी एक महिला के समान अधिकार है।
उसकी भी एफआईआर 376 में दर्ज की जाए। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की एकलपीठ ने सरकार को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए। इस मामले के सामने आने के बाद चर्चाओं का माहौल गरम हो गया। वहीं अब इस मामले में सरकार को जवाब देना होगा।
यह भी देखे: छत्तीसगढ़ : स्कूल जाने छात्राएं करती थीं ऐसा जुगाड़… कलेक्टर ने सुनी फरियाद और निकाल लिया ये समाधान
Add Comment