उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर और बिजनौर जिलों के किसान अपने खेतों में देशी शराब का छिडक़ाव कर रहे हैं। उनका मानना है कि इससे आलू और गन्ने की फसलों की पैदावार बढ़ जाती है। आलू का आकार बढऩे के साथ ही कम समय में ज्यादा पैदावार होती है, वहीं गन्ने के लिए यह कीटनाशक का काम करता है।
मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक, कृषि विभाग के अधिकारी किसानों की इस राय से बिलकुल इत्तेफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि आलू के ज्यादा उत्पादन में शराब की कोई भूमिका नहीं होती है।
बुलंदशहर के बोहिछ गांव निवासी किसान बताते हैं, छह बीघा आलू की फसल में छिडक़ाव के लिए देशी शराब के एक क्वार्टर बोतल की जरूरत पड़ती है। मेरे पास 10 एकड़ खेत है, ऐसे में मैंने 500 रुपये खर्च किए। कम समय में बड़े आकार के आलू का ज्यादा उत्पादन होने से मुझे बहुत फायदा हुआ।
कृषि वैज्ञानिकों ने खेतों में शराब के छिडक़ाव को पूरी तरह गलत प्रयोग बताया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि इससे मृदा की उर्वरता पर प्रभाव पड़ सकता है। बुलंदशहर जिले के कृषि अधिकारी अश्विनी कुमार सिंह के मुताबिक, फसल उत्पादन बढ़ाने में शराब के इस्तेमाल का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। किसान अपना पैसा बेवजह खर्च कर रहे है। हमने हॉर्टिकल्चर अधिकारी को इस मामले की जांच करने को कहा है। इसके अलावा किसानों को जागरूक करने के लिए भी निर्देश दिया है।
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