भारत के कई हिस्सों में इन दिनों फेथाई तूफान कहर बरपा रहा है। इस तूफान के चलते आंध्रप्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ सहित कई क्षेत्रों में बारिश के साथ शीतलहर की स्थिति निर्मित हो गई है। इन सबके बीच ये चर्चा में जोरों से चल रही है, आखिर इन तूफानों का नामकरण कैसे होता है, तो आइए हम आपको बता रहे हैं…तूफानों को नाम कैसे दिया दिया जाता है…
अक्टूबर 2018 में बंगाल की खाड़ी में आए तूफान ‘तितली’ का नाम पाकिस्तान ने दिया है। तूफान को नाम इसलि दिया जाता है ताकि आम लोगों और वैज्ञानिकों में इसे लेकर असमंजस न बना रहे। दुनिया भर में तूफानों के नाम 5 कमेटियां फाइनल करती हैं।
इन कमेटियों के नाम हैं (1) इस्केप टाइफून कमेटी (2) इस्केप पैनल ऑफ ट्रॉपिकल साइक्लोन (3) आरए 1 ट्रॉपिकल साइक्लोन कमेटी (4) आरए- 4 (5) आरए- 5 ट्रॉपिकल साइक्लोन कमेटी।
सबसे पहले विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने चक्रवातों के नाम रखने की शुरुआत की। वहीं, भारत में तूफानों का नाम देने का चलन 2004 से शुरू हुआ। भारत के साथ-साथ पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, म्यांमार, ओमान और थाइलैंड ने भी तूफानों का नाम देने का फॉर्मूला तैयार किया।
इन 8 देशों की ओर से सुझाए गए नामों के पहले अक्षर के अनुसार उनका क्रम तय किया जाता है और उसी क्रम के अनुसार चक्रवातों के नाम रखे जाते हैं।
इन सभी आठ देशों ने वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (World Meteorological Organization) को तूफानों के नाम की लिस्ट दी हुई है। इसमें भारत ने अग्नि, बिजली, मेघ, सागर और आकाश जैसे नाम दिए. वहीं, पाकिस्तान ने निलोफर, बुलबुल और तितली जैसे नाम दिए। इन्हीं नामों में से वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन तूफान का नाम रखती है।
इन आठ देशों में अगर चक्रवात आता है तो भेजे गए नामों में बारी-बारी एक नाम चुना जाता है। भारत में 10 साल तक एक नाम दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता। साथ ही ज्यादा तबाही मचाने वाले चक्रवातों के नाम को निरस्त कर दिया जाता है।
इस बार पाकिस्तान की तरफ से भेजे गए तूफान का नाम चुना जाना था। इसलिए भारत में आए इस तूफान को तितली नाम दिया गया है।
अमेरिका हर साल तूफानों के 21 नामों की सूची तैयार करता है। हालांकि अंग्रेजी के हर एल्फाबेट से एक नाम रखा जाता है, लेकिन Q,U,X,Y और Z एल्फाबेट से तूफान का नाम रखने की परंपरा नहीं है।
अगर एक साल में 21 से ज्यादा तूफान आएं तो फिर उनका नाम ग्रीक अल्फाबेट अल्फा, बीटा, गामा के नाम से रख दिया जाता है। इन नामों में ऑड-ईवन का फॉर्मूला अपनाया जाता है। जैसे ऑड सालों में चक्रवात का नाम औरतों के नाम पर रखा जाता है, जबकि ईवन सालों में आए तूफान के नाम पुरुषों पर आधारित होते हैं।
कहने का मतलब है कि ऑड साल जैसे कि 2019, 2021 और 2023 में आने वाले तूफानों के नाम औरतों के नाम पर रखे जाएंगे। वहीं ईवन साल जैसे कि 2018, 2020 और 2022 में आने वाले तूफानों के नाम पुरुषों के नाम पर आधारित होंगे।
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