छत्तीसगढ़

छग विस : जोर-शोर से उठा मितानिनों को नौकरी से हटाए जाने का मामला

रायपुर। विधानसभा में आज प्रदेश में एएनएम व जीएएन के रिक्त पदों में भर्ती के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली मितानिनों को उक्त पदों पर भर्ती नहीं करने के साथ-साथ मितानिनों के पद से भी हटाने का मुद्दा जोर-शोर से उठा। पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा कि प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद मितानिनों को नौकरी से हटाने संबंधी कोई आदेश जारी नहीं किया गया है।
प्रश्रकाल में आज सदस्य दलेश्वर साहू ने प्रदेश में एएनएम व जीएएन के रिक्त पदों का मामला उठाते हुए अपने मूल प्रश्र में मंत्री से जानना चाहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा प्रदेश में कितने एएनएम व जीएएन के पद रिक्त है। उक्त पदों की पूर्ति के लिए क्या मितानिनों को शासन के पैसो से प्रशिक्षण दिया गया है तथा प्रशिक्षित कितने मितानिनों को पद के विरूद्ध भर्ती किया गया है।
इसके जवाब में पंचायत मंत्री श्री चंद्राकर ने बताया कि प्रदेश में 602 एएनएम एवं 1675 जीएनएम (स्टाफ नर्स) के पद रिक्त है। रिक्त पदों के लिए मितानिनों को शासन द्वारा नहीं बल्कि उनके द्वारा स्वयं के खर्च पर प्रशिक्षण प्राप्त किया गया है। उन्होंने बताया कि जीएनएम प्रशिक्षित 1470 मितानिनों में से कुल 320 मितानिनों को शासकीय सेवा में भर्ती की गई है, जबकि जीएनएम प्रशिक्षित 88 मितानिनों में से अब तक किसी की भर्ती शासकीय सेवा में नहीं की गई है। दलेश्वर साहू ने कहा कि विगत कई वर्षों से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद भी मितानिनों की एएनएम व जीएनएम के रिक्त पदों पर भर्ती नहीं की जा रही है। बल्कि प्रशिक्षित मितानिनों को नौकरी से भी हटा दिया गया है। ऐसे में मितानिनों के सामने गंभीर समस्या खड़ी हुई है। इस पर मंत्री ने कहा कि मितानिनों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से एएनएम व जीएनएम का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशिक्षित मितानिनों को नौकरी से हटाने शासन द्वारा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। अगर ऐसा एक भी कोई मामला है तो सदस्य उन्हें बताए वे जरूर उस पर कार्रवाई कराएंगे। इस मामले में कांग्रेस सदस्य धनेन्द्र साहू, मोहन मरकाम व बसपा सदस्य केशव चंद्रा ने भी मंत्री से सवाल किये।

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