
कर्नाटक के हुबली जिले से करीब 30 किलोमीटर दूर मोराब गांव में एचआईवी पीडि़ता के झील में कूदकर आत्महत्या कर लेने के बाद से हडक़ंप मचा हुआ है। एक नेशनल टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, 25 फुटबॉल मैदानों के बराबर ये झील गांव के लोगों के लिए पानी का एकमात्र जरिया है।
लेकिन लोगों ने यहां से पानी पीना बंद कर दिया है। गांववालों ने उस झील का पानी आखिरकार निकाल ही दिया क्योंकि उन्हें संक्रमण फैलने का डर था। 4 मोटर और 20 ट्यूब की मदद से पानी निकाला गया।
आपको बता दें कि आत्महत्या करने वाली महिला झील के किनारे रहती थी। गांववालों का कहना है कि वह एचआईवी से संक्रमित थी। स्थानीय लोग इस झील के पानी का इस्तेमाल किया करते थे।
पंचायत विकास अधिकारी बी नागराज कुमार ने बताया, तीन दिन तक लापता रहने के बाद 29 नवंबर 2018 को उस महिला का शव इस झील में नजर आया। शव सड़ गया था और पानी में ज्यादा दिनों तक रहने की वजह से फूल गया था। इसके बाद गांव वालों ने तय किया कि जब तक झील में ताजा पानी नहीं भरा जाएगा वह इस पानी का इस्तेमाल नहीं करेंगे।
घटना की जानकारी के बारे में पता चलते ही जिला पंचायत मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ बी. सतीश ने मौके पर पहुंचकर लोगों को समझाने की कोशिश की कि एचआईवी इस तरह से कभी भी नहीं फैलता।
उन्होंने इस तरह से पानी नहीं बर्बाद करने को भी कहा लेकिन गांव वाले अपनी बात पर अड़े रहे और पानी निकलाने का काम जब तक शुरू नहीं किया गया तब तक उन लोगों ने जमकर हंगामा किया।
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